Sunday, June 30, 2024

अनमोल वचन

जैसे किसान खेत में हल चलाकर, पानी देकर, आवश्यक कर्षण क्रियाऐं करके धान की रोपाई कर उसमें खाद-पानी भी समय पर देता रहे, तब धान का पौधा बढ़ता और फलता-फूलता है, किन्तु धान की फसल को हानि पहुंचाने वाली खरपतवार कृषक के न चाहते हुए भी उसकी इच्छा के विरूद्ध खरपतवार का बीज न डालने पर भी स्वयं अंकुरित हो जाती है, वैसे ही जिज्ञासु रूपी किसान की अन्तकरण रूपी भूमि में स्वाध्याय तथा सत्संग श्रवण रूपी बीज से मनन रूपी खाद और अभ्यास रूपी जल डालने पर भक्तिरूपी धान का पौधा पल्लवित होता है, किन्तु इस ज्ञान व भक्ति रूपी पौधे को हानि पहुंचाने वाली विषय वासना रूपी खरपतवार जिज्ञासु रूपी किसान के न चाहने पर भी स्वत: अंकुरित हो जाती है। जैसे चतुर किसान इस बात का ध्यान न करता हुआ कि एक बार तो मैंने उसे निकाल दिया है। खरपतवार को बार-बार निकालता है और धान की फसल धीरे-धीरे बलवान होकर अच्छी फसल देती है, उसी प्रकार जिज्ञासु रूपी किसान को चाहिए कि इस बात का ध्यान न करते हुए कि मैंने दुर्वासनाओं का त्याग तो कर दिया है बार-बार पैदा होने वाली दुर्वासनाओं का त्याग करते रहे तो उसका भक्ति रूपी पौधा पुष्पित और पल्लवित होगा। थोडी सी भी उपेक्षा उसकी भक्ति और साधना में विघ्र पैदा कर सकती है, क्योंकि ये वासनाऐं उसे पग-पग पर विचलित करेंगी।

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