लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने दीपावली के मौके पर किए गए अपने वादे को पूरा करते हुए राज्य के कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस फैसले के अंतर्गत राज्य सरकार के कर्मचारियों को 7 से 12 प्रतिशत तक बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता (DA) मिलेगा। यह घोषणा बृहस्पतिवार को शासनादेश के रूप में लागू कर दी गई है, जिससे प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को लाभ होगा।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 7 से 12 प्रतिशत तक की वृद्धि की है, जो सभी राज्य कर्मचारियों, सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं, प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं, और शहरी स्थानीय निकायों के नियमित एवं पूर्णकालिक कर्मचारियों को मिलेगा। यह बढ़ा हुआ DA जुलाई 2024 से कर्मचारियों को मिलेगा।
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उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) से आच्छादित कर्मचारियों को बढ़े हुए महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत उनके टियर-1 पेंशन खाते में जमा किया जाएगा, जबकि राज्य सरकार का अवशेष योगदान 14 प्रतिशत टियर-1 पेंशन खाते में जमा होगा। शेष 90 प्रतिशत राशि कर्मचारी के पीपीएफ में जमा कराई जाएगी या एनएससी के रूप में प्रदान की जाएगी।
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जो कर्मचारी या अधिकारी शासनादेश जारी होने से पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं या इस साल जुलाई से लेकर शासनादेश जारी होने की तारीख तक सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें उनका बकाया महंगाई भत्ता नकद प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही जिन कर्मचारियों की सेवाएं छह महीने के भीतर समाप्त होने वाली हैं, उन्हें भी बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा।
इस फैसले से राज्य सरकार के कर्मचारियों को वित्तीय राहत मिलेगी और वे महंगाई के असर से राहत महसूस करेंगे। खासकर, बढ़ी हुई DA राशि कर्मचारियों के मासिक वेतन में वृद्धि करेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत राज्य सरकार के कर्मचारी और अधिकारी अब किसी भी सामाजिक संगठन, एनजीओ या ट्रस्ट में काम नहीं कर सकेंगे। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज सिंह ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी सरकारी सेवा में रहते हुए निजी निकायों के प्रबंधन, प्रचार या अन्य किसी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सकते।
मुख्य सचिव के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि राज्य सरकार के कोई भी कर्मचारी या अधिकारी सरकारी सेवा में रहते हुए गैर सरकारी समितियों, ट्रस्ट या अन्य निजी निकायों के प्रबंधन का हिस्सा नहीं बन सकते। इसके अलावा, बिना सरकारी अनुमति के कोई भी सरकारी कर्मचारी कंपनी अधिनियम 1956 के तहत पंजीकृत किसी कंपनी, बैंक या अन्य संस्था के पंजीकरण, प्रचार या प्रबंधन में भाग नहीं ले सकता।
आदेश में यह भी कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 या किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत सहकारी समितियों के प्रबंधन, पंजीकरण या प्रचार में भाग ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए भी पूर्व अनुमति जरूरी होगी। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को आचरण नियमावली नियम-16 का दोषी माना जाएगा और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।