Sunday, February 23, 2025

नशे के खिलाफ जंग, सरकार की अच्छी पहल

पहली बार केन्द्र सरकार ने नशे के खिलाफ बड़ा बयान देते हुए व्यापक रूप से फैले इसके नेटवर्क के खिलाफ कारगर मुहिम चलाने की बात कही है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मादक पदार्थ के अवैध कारोबारियों के खिलाफ अभियान का आह्वान करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इससे निपटने के लिए नेटवर्क पर प्रहार करना होगा। शाह ने कहा कि इससे उत्पन्न होने वाला धन, आतंकवाद व नक्सलवाद को बढ़ावा देता है और अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है। यदि दृढ़ निश्चय और रणनीति के साथ बढ़ा जाए तो इस खतरे के खिलाफ  लड़ाई जीत सकते हैं। गृह मंत्री ने मादक पदार्थों से होने वाले नुकसान व अवैध कारोबार को खत्म करने के लिए चार सूत्र दिए और कहा कि हमें मादक पदार्थों की पहचान करने, नशे के सौदागरों का नेटवर्क नष्ट करने, अपराधियों को हिरासत में लेने और नशे के आदी लोगों के पुनर्वास पर जोर देना होगा।
जितनी सरलता से यह बात कही गई, यह उतनी ही मुश्किल है। चूंकि नशे के कारोबारियों ने बहुत बड़े स्तर पर अपना जाल बिछा दिया। आज मादक पदार्थ गली-गली में इतनी आसानी से मिल रहे हैं जैसे परचून की दुकान पर टॉफी-बिस्कुट। मादक पदार्थ बहुत तेजी से युवाओं को निगल रहा है। आज युवाओं की पार्टी में चरस, गांजा, अफीम, हेरोइन व ब्राउन शुगर के अलावा कई प्रकार के नशे की सामग्री का होना आम बात हो गई। यह सभी मादक पदार्थ पार्टी के पर्यायवाची बन चुके हैं। स्कूल-कॉलेज के बच्चों में इस नशे का क्रेज लगातार पढ़ रहा है। कॉलेज में लड़के-लड़कियां जमकर इस तरह का नशा कर रही हैं। हम देखते रहे हैं कि नशे की वजह से हर रोज हजारों घर बर्बाद हो रहे हैं। यदि इस पटकथा के निर्माता की बात करें तो वह है पुलिस-प्रशासन। चूंकि इस तरह के मादक पदार्थ बिना प्रशासन की मिलीभगत के नहीं बिक सकता। कहा जाता है कि मादक पदार्थ बिकवाने की अनुमति के पुलिस लाखों रुपये लेती है। यह मादक पदार्थ बेचने वाले एक कॉल पर डिलीवरी देने आ जाते हैं और प्रशासन की नाक के नीचे खुला खेल चलता है।
विशेषज्ञों के अनुसार नशा मनुष्य के सोचने-समझने की शक्ति के साथ पूरे शरीर पर प्रहार करता है। इसका प्रहार ऐसा होता है कि धीरे-धीरे शरीर नष्ट हो जाता है। यह एक ऐसा धीमा जहर है कि लोग जब तक इसके दुष्परिणामों को समझ पाते हैं तब तक उनका अंत हो जाता है। नशा कई रूपों में किया जाता है- शराब, तंबाकू, पाउच व आर्टिफिशल मादक पदार्थ आदि सभी नशे की श्रेणी में आते हैं। आज नशे का सेवन भारत में सबसे अधिक होता है। लाखों संस्थाए भले नशे पर प्रतिबंध को लेकर जागरुकता कार्यक्रम करती हों लेकिन वास्तव में यह दुनिया भर में एक वर्ष में 54 लाख जानें ले रहा है। दुनिया में एक अरब लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। भारत की बात करें तो सालाना 9 लाख मौतें तंबाकू व लगभग चार लाख मौतें चरस, गांजा, अफीम व हेरोइन से होती हैं। दस में से एक मौत में तंबाकू वजह बनती है। वहीं, विश्व में सभी तरह के नशे को लेकर सेवन में भारत का दूसरा स्थान है। यह बेहद पीड़ा देने वाला आंकड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार 2030 तक 80 लाख लोगों की नशे की वजह से मौतें होंगी।
डब्लूएचओ द्वारा वर्ष 1988 से दुनिया को नशे के दुष्परिणामों से सचेत करने के लिए 31 मई को विश्व तंबाकू दिवस मनाया जाता है। बावजूद इसके लोग जागरूक होने की बजाय नशे के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इसके अलावा कॉरपोरेट जगत में सिगरेट के अलावा बड़े स्तर के नशे करना स्टेटस सिंबल बन गया। अब चिंता का विषय यह बनता जा रहा है कि स्कूल व कॉलेज की बच्चे नशा करने लगे। नशे के क्षेत्र में हर रोज परिस्थितियां विपरीत होती जा रही हैं। बीते दिनों भारत में एक पाकिस्तानी नौका से छह सौ करोड़ मूल्य की हेरोइन पकड़ी गई थी, जिससे पाकिस्तान के नशा माफियाओं को करोड़ों रुपयों का फायदा होता और वह पैसा आतंकवाद में प्रयोग होता। जैसा कि भारत में कुछ मादक पदार्थ गैर-कानूनी तरीके से बाहरी देशों से आते हैं। दरअसल, कई देशों के सत्ता प्रतिष्ठानों की मिलीभगत से नार्को-आतंकवाद के एक बड़े पैटर्न को अंजाम दिया जा रहा है। निश्चित तौर पर यह साजिश हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती है।
पुरानी घटनाओं के अनुसार जम्मू-कश्मीर व पंजाब में नशे के कारोबार से कमाया हुआ पैसा आतंकवाद में लगता आया है। इस तरह का पैसा आतंकवादियों को हथियार व पैसा उपलब्ध कराता है। इसी साल मई में भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और नौसेना के साझे मिशन के जरिये केरल तट पर ढाई हजार किलोग्राम नशीला पदार्थ बरामद किया गया था। जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत पंद्रह हजार करोड़ रुपये बतायी गई थी। यह हमारे देश में बरामद अब तक की सबसे बड़ी नशे की खेप थी। इसके अलावा गुजरात के तट पर 150 किलो ड्रग्स ले जा रही नौका को जब जब्त किया गया और छह पाकिस्तानी चालक दल के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह फरवरी में पोरबंदर तट पर पांच विदेशी नागरिकों को चरस व 3300 किलोग्राम नशीले पदार्थों के साथ पकड़ा गया था।
दरअसल, इस नशे के कारोबार की शुरुआत अक्सर अफगानिस्तान से होती है, जहां अफीम व हेरोइन का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। बहरहाल, केन्द्र सरकार की ओर नशे के माफिया पर नकेल कसना बेहतर कदम है, लेकिन इसमें धरातल पर काम करने की जरूरत है। विभाग चाहेगा तो यह बेहद सरल है अन्यथा यह प्रक्रिया बहुत जटिल है। जटिल इसलिए कहा जा रहा है कि नशे के सौदागर सिस्टम को इतना ज्यादा पैसा ऑफर करते हैं कि वह मना नहीं कर पाता। इस खेल में पैसा बहुत है जिसमें शासन-प्रशासन के बड़े-बड़े लोग शामिल हैं। यदि सही से जांच की जाए तो न जाने कितने बड़े नामों का खुलासा हो सकता है। इसलिए इस तंत्र को भेदना आसान नहीं होगा।
-योगेश कुमार सोनी

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