Saturday, April 19, 2025

संविधान ने न्यायाधीशों को भ्रष्टाचार करने की स्वतंत्रता नहीं दी थी : त्यागी समाज

गाजियाबाद। अखिल भारतीय त्यागी ब्राह्मण सभा की नई कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह आज यहां आयोजित किया गया। जिला अध्यक्ष गाजियाबाद मनोज त्यागी, महानगर अध्यक्ष गाजियाबाद पुनीत त्यागी और उनकी टीम के सभी सदस्यों को संरक्षक मंडल ने शपथ दिलवाई और नियुक्ति पत्र वितरित किए।

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शपथ ग्रहण के तुरंत बाद सभा ने घोषणा की कि त्यागी समाज केवल अपने समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि देश और समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाना भी अपना दायित्व समझता है।

सभा के संरक्षक बाबा विध्यानन्द, ब्रहम दत्त त्यागी, आशा राम त्यागी, पूर्व सभासद राजेन्द्र त्यागी और मंगु त्यागी ने कहा कि वर्तमान में हमारी अदालतों में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा:

“खुली हवा की सोहबत बिगाड़ देती है, कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है, जो जुर्म करते हैं, इतने बुरे नहीं होते, सजा ना देकर अदालत बिगाड़ देती है।”

 

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कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने बताया कि 2010 में एक पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री ने हलफनामा देकर कहा था कि भारत के पिछले सोलह मुख्य न्यायाधीशों में से आठ भ्रष्ट थे। तब से भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप बढ़ते ही गए हैं। हाल के पांच मुख्य न्यायाधीशों में से चार – जस्टिस खेहर, मिश्रा, गोगोई और रमना – पर गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन इनमें से किसी भी आरोप की पूरी तरह से जांच नहीं की गई।

महानगर अध्यक्ष पुनीत त्यागी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय में एक आंतरिक निरीक्षण तंत्र है, जो नीति के बजाय मिसाल के आधार पर न्यायपालिका को विनियमित करता है, लेकिन यह प्रणाली भी पारदर्शी नहीं है।

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जिला अध्यक्ष मनोज त्यागी ने कहा कि न्यायपालिका में व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं है।

 

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महानगर महामंत्री अरुण त्यागी और जिला महामंत्री डॉक्टर प्रमोद त्यागी ने प्रश्न उठाए:

  • ऐसा कैसे होता है कि अधिकतर न्यायाधीश, न्यायाधीशों के ही रिश्तेदार होते हैं?
  • ऐसा कैसे होता है कि आतंकियों के लिए रात को 12 बजे अदालत लग जाती है, जबकि आम नागरिक के लिए दशकों लग जाते हैं?
  • ऐसा कैसे होता है कि जो रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, अदालत उनके बच्चों को शिक्षा के समान अधिकार के आदेश देती है?
  • ऐसा कैसे होता है कि बिना पहचान के समान बेचने वालों का अदालत समर्थन करती है और शासन के आदेशों को निरस्त कर देती है?

हाल ही में न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से 13 करोड़ रुपये नगद बरामद हुए। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद ट्रांसफर कर दिया। क्या यह पर्याप्त है? कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए।

अंत में प्रेम दत्त त्यागी, राम कृष्ण त्यागी, प्रवक्ता राजीव त्यागी, मुकेश त्यागी, पवन त्यागी एवं सैकड़ों उपस्थित त्यागी समाज के प्रतिनिधियों ने मांग की कि अदालतों में न्यायाधीशों के कॉलेजियम सिस्टम में बदलाव की आवश्यकता है।

 

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