सहारनपुर। जिलाधिकारी मनीष बसंल के निर्देशों के क्रम में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रजनीश कुमार मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि विगत कुछ वर्षों में सर्पदंश एक गम्भीर आपदा के रूप में सामने आयी है, जिसके कारण सर्पदंश को राज्य आपदा में सम्मिलित किया गया है।
सर्पदंश की घटनायें ग्रामिण क्षेत्रों में ज्यादा होती है। सर्पदंश से होने वाली जनहानि को कम करने हेतु प्राथमिक उपाय के रूप में यह अत्यंत आवश्यक है कि जनमानस को सर्पदंश से बचने के उपायों के प्रति जागरूक होना। सर्पदंष के कारण होने वाली जनहानि के न्यूनीकरण एवं शमन हेतु जिला आपदा प्रबन्ध प्राधिकरण, सहारनपुर द्वारा सर्पदंश में क्या करें, क्या न करें जारी किया जा रहा है।
मानसून काल में सर्पदंश का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, जिसके लिये आवश्यक है कि ऐसे मौसम में घर से बाहर निकलते समय बूट, मोटे कपड़े का पैन्ट इत्यादी पहनें, नशा न करें इससे खतरे को समझने की क्षमता कम हो जाती है, सर्प दिखने पर उसके पास न जाये और न ही उसे मारने की कोशिश करें, हलचल एवं कम्पन्न इत्यादी से सर्प दूर भागते है,
सर्प के काटने पर घबराये नही, आराम से लेट जायें, कटे हुये भाग को हृदय के स्तर से थोड़ा नीचे रखें, कपड़े ढीले कर दें, चूड़ी, कड़े, घड़ी, अंगूठी जैसे आभूषण निकाल दें, छोटे बच्चे, वृद्ध व अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में सर्प का जहर का असर गम्भीर हो सकता है, इनमें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है, इनके उपचार कराने में देरी न करें।
सर्पदंश वाले घाव के साथ किसी प्रकार का छेड़-छाड़ न करें, सर्पदंश वाले घाव को काटने, चूसने, बर्फ लगाने, कसकर बांधने, देसी दवा अथवा किसी प्रकार का कैमिकल इत्यादि लगाने का कोई स्पष्ट लाभ नहीं होता है अपितु घाव में नुकसान हो सकता है एवं जहर शरीर में ज्यादा तेजी से फैल सकता है। घबराने, दौड़ने भागने इत्यादी से जहर तेजी से शरीर में फैलता है। व्यक्ति को मदिरा, नशे की कोई भी चीज न दें, सर्प काटने पर झाड़-फूंक इत्यादी से बचें।
सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र निकटतम जिला अस्पताल/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र/ प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र पर ले जायें।