हरी सब्जियों और नगदी फसलों की मिश्रित खेती किसानों के लिए बनी सोने की खान जानें कैसे मिल रहा है लाखों का फायदा

खेती अब सिर्फ गुजारे का साधन नहीं रह गई है बल्कि सही तकनीक और थोड़ी समझदारी से यह लाखों रुपए कमाने का जरिया भी बन रही है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी खेती के बारे में जिसे किसान कई दशकों से करते आ रहे हैं और इस खेती में उन्हें कभी नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा है। जी हां हम बात कर रहे हैं मिश्रित खेती की।
कमालगंज के मिर्जा नगला गांव के किसान निरोत्तम बताते हैं कि वे बचपन से ही मिश्रित खेती कर रहे हैं और यह खेती उनके लिए सोने की खान साबित हुई है। उनका कहना है कि जितनी कमाई उन्हें खेती से हो रही है उतनी तो सरकारी नौकरी करने वालों को भी नहीं होती। प्रति बीघा जहां सिर्फ चार से पांच हजार रुपए का खर्च आता है वहीं जब फसल तैयार होती है तो सब्जियों और अन्य फसलों को बेचकर हजारों रुपए की कमाई हो जाती है।
हरी सब्जियों की बाजार में लगातार भारी मांग रहती है। किसान बताते हैं कि वे मूली की पौध पहले लगाते हैं और उसके साथ शलजम और चुकंदर के बीज बो देते हैं। इसके बाद क्यारियों के ऊपर धनिया की बुवाई कर देते हैं। जब मूली की फसल तैयार होती है तो साथ ही नीचे से बाकी फसलें भी निकल आती हैं। एक ही समय में जब पांच फसलें तैयार होकर बिकती हैं तो मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है।
खेती का तरीका भी आसान है। किसान भाई सबसे पहले खेत को अच्छे से जोतकर समतल कर लेते हैं। फिर मूली के पौधों की रोपाई करते हैं और समय पर सिंचाई करते हैं। जैसे ही मूली की फसल निकलने लगती है उसे मंडी में बेच दिया जाता है और बाकी पौधों को खेत में ही हरी खाद के रूप में मिला दिया जाता है जिससे अगली फसल और भी बेहतर हो जाती है।
मिश्रित खेती किसानों के लिए एक ऐसा विकल्प है जिससे वे न सिर्फ नियमित आमदनी पाते हैं बल्कि कम जमीन में भी अधिक उत्पादन कर अपनी जिंदगी को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकते हैं। यही कारण है कि आजकल किसान इस खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने लगे हैं और इसे बेहद लाभदायक मानते हैं।
Disclaimer
इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सामान्य कृषि अनुभव और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। खेती शुरू करने से पहले अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह अवश्य लें।