टमाटर की पंत टी-3 किस्म की खेती किसानों के लिए बन सकती है सोने की खान, 1 एकड़ में होती अच्छी पैदावार

बरसात के मौसम में टमाटर की कीमतें आसमान छू जाती हैं ऐसे में पंत टी-3 किस्म किसानों को भारी मुनाफा दिला सकती है इसकी उपज ज्यादा होती है और मांग हमेशा बनी रहती है।
आज हम बात करने वाले हैं उस फसल के बारे में जो हर रसोई की शान होती है और जिसकी मांग साल भर बनी रहती है जी हां हम बात कर रहे हैं टमाटर की खेती की टमाटर न केवल रोज़ाना के खाने में इस्तेमाल होता है बल्कि यह किसानों को बेहतरीन मुनाफा भी दिलाता है खासकर बारिश के मौसम में जब इसका भाव आसमान छूने लगता है।
पंत टी-3 किस्म की खेती क्यों है खास
दोस्तों टमाटर की पंत टी-3 किस्म का नाम हर उस किसान के लिए फायदेमंद साबित होता है जो व्यावसायिक खेती करना चाहता है। यह किस्म हर प्रकार की मिट्टी में अच्छी तरह से उग जाती है खासकर काली, दोमट और पीली मिट्टी में इसका उत्पादन सबसे बेहतर होता है। इसके लिए खेत को गहराई तक जोतना जरूरी है और अगर आप इसमें गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिला दें तो मिट्टी और भी उपजाऊ बन जाती है।
बीज की बात करें तो प्रति एकड़ सिर्फ 60 से 75 ग्राम बीज ही पर्याप्त होते हैं। इस किस्म की नर्सरी तैयार करके पौधे खेत में लगाए जाते हैं। रोपाई के बाद लगभग ढाई महीने में पहली तुड़ाई के लिए टमाटर तैयार हो जाते हैं और किसान को समय पर बाजार में बेचने का मौका मिल जाता है।
उत्पादन क्षमता और मुनाफा
पंत टी-3 किस्म की खासियत यह है कि इसके फल गोल आकार के और लाल रंग के होते हैं। प्रत्येक फल का वजन करीब 90 से 100 ग्राम होता है। उत्पादन की बात करें तो एक एकड़ खेत में 42 से 45 टन तक टमाटर की फसल ली जा सकती है। अब आप खुद सोचिए अगर बरसात के मौसम में बाजार में टमाटर के भाव 50 से 60 रुपये किलो मिलें तो किसानों की आमदनी कितनी बढ़ सकती है। यही वजह है कि यह किस्म किसानों के बीच दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय होती जा रही है।
दोस्तों अगर आप भी खेती से अधिक मुनाफा कमाने का सपना देख रहे हैं तो टमाटर की पंत टी-3 किस्म की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और बरसात में तो यह सोने की खान बन जाता है। सही तरीके से खेती और समय पर देखभाल करने पर यह किस्म किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ा सकती है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सामान्य कृषि ज्ञान और रिसर्च पर आधारित है। खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह जरूर लें