न्यूयॉर्क। पहली बार वैज्ञानिकों की एक टीम ने टाइप 2 डायबिटीज के विकास पर प्रभाव डालने डालने वाले एआई डेटासेट को पेश किया है। नेचर मेटाबॉलिज्म पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस शोध में बिना डायबिटीज और डायबिटीज वाले मरीजों को शामिल किया गया। इस शोध की शुरुआत में कई तरह के अलग अलग संकेत और जानकारियां निकल कर सामने आई।
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अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में नेत्र विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. सेसिलिया ली ने कहा कि हम टाइप 2 डायबिटीज रोगियों के बीच विविधता का समर्थन करने वाले डेटा देखते हैं, जिससे पता चलता है कि सभी लोग एक ही चीज से नहीं जूझ रहे हैं। हमें जो डेटासेट मिल रहे हैं इस पर शोधकर्ता गहराई से काम कर पाएंगे उदाहरण के लिए, शोध में शामिल लोगों के घरों में एक अनुकूलित पर्यावरण सेंसर से प्राप्त डेटा से पता चलता है कि हवा में छोटे-छोटे कण ज्यादा हैं, तो लोगों की बीमारी की संभावना भी बढ़ जाती है। डेटा में सर्वेक्षण प्रतिक्रियाएं, डिप्रेशन स्केल, आंखों की स्कैनिंग, ग्लूकोज और अन्य बायोलॉजिकल वेरिएबल्स (जैविक वेरिएबल्स) शामिल हैं।
ऑथर्स ने कहा, “इन सभी आंकड़ों को एआई द्वारा एकत्रित किया जाना है, ताकि जोखिम, निवारक उपायों और बीमारी और स्वास्थ्य के बीच के मार्गों के बारे में नई जानकारियां प्राप्त की जा सकें।” यूडब्ल्यू मेडिसिन में नेत्र विज्ञान के प्रोफेसर और परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डॉ. आरोन ली ने कहा, “खोज की यह प्रक्रिया उत्साहजनक रही है। हम सात संस्थानों और बहु-विषयक टीमों का एक एसोसिएशन हैं, जिन्होंने पहले कभी एक साथ काम नहीं किया था।
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लेकिन हमारे पास निष्पक्ष डेटा का उपयोग करने और उस डेटा की सुरक्षा की रक्षा करने के साझा लक्ष्य हैं, क्योंकि हम इसे हर जगह सहकर्मियों के लिए सुलभ बनाते हैं।” कस्टम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होस्ट किए गए डेटा को दो सेटों में तैयार किया जाता है। एक नियंत्रित एक्सेस सेट जिसके लिए उपयोग समझौते की आवश्यकता होती है और दूसरा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध संस्करण है।