भारत के प्रणेताओं ने भारतीय नगरों की संरचना और विनिर्माण इस तरह से किया है कि भारत का हर एक नगर स्वयं में एक धार्मिक नगर के रूप में सामने आता है। अयोध्या, जो कभी एक छोटा उपेक्षित धार्मिक शहर था, एक खूबसूरत धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में अपनी परिवर्तनकारी यात्रा से गुजर रहा है जिसमें राम मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण केंद्रबिंदु है। यह परिवर्तन न केवल शहर के सांस्कृतिक और धार्मिक परिदृश्य को नवल आकार दे रहा है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास को भी उत्प्रेरित कर रहा है।
आतिथ्य उद्योग विनिर्माण में होटल निर्माण में वृद्धि के लिए प्रमुख ब्रांडों के अनुबंध में प्रवेश करने से लेकर एफएमसीजी, क्यूएसआर और विमानन क्षेत्रों तक, हर बढ़ती मांग के लिए तैयारी कर रहा है। अयोध्या का विकास गहरे आर्थिक और बुनियादी ढांचे की बढती मांग के अनुरूप तेजी से चल रहा है जो इसे समय रहते विश्व के पटल पर सबसे बड़े धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार से भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए निवेश पाने में सफल रहा है। सरकार के अलावा विभिन्न उद्योगों के निजी निवेश ने एक पर्यटक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अयोध्या के बुनियादी ढांचे के पुनर्विकास का कार्यभार संभाला है। फरवरी 2020 में केंद्र सरकार ने एक ‘राम जन्म भूमि ट्रस्ट का गठन किया, जिसका उद्देश्य अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और रखरखाव को संभालना था, जिसे दान से शुरू में ही कुल 3,500 करोड़ मिले। राम मंदिर का निर्माण वर्तमान में सबसे महंगी परियोजना है।
30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या एयरपोर्ट, नए रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया। एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन अयोध्या की अर्थव्यवस्था और इसकी गतिविधियों की आर्थिक क्षमता में अभिवृद्धि करने में मील का पत्थर साबित होगा। सरकार हवाई अड्डे की क्षमता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी और बढ़ाने की योजना बना रही है। पर्यटन में बढ़ोतरी की तैयारी के लिए अयोध्या हवाई अड्डे पर यात्री टर्मिनल को एक साथ 150 आगमन और प्रस्थान को संभालने के लिए बनाया गया है। यह हवाई अड्डा मानकों से आगे निकलने की स्थिति में है। इसे विमानन क्षेत्र के लिए गौरव के स्रोत में बदल देता है। अयोध्या हवाई अड्डे के हॉल से घूमने वाले तीर्थयात्रियों और भक्तों के लिए, यह यात्रा भौतिक और आध्यात्मिक दोनों अर्थों में महत्वपूर्ण है।
भारी भीड़ की उम्मीद के बीच एफएमसीजी कंपनियां तीर्थस्थल हॉटस्पॉट के साथ-साथ बाहरी क्षेत्रों से भी मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए अपने संयंत्रों को स्थापित कर रही हैं क्योंकि यह एक बड़ा कैप्टिव बाजार बन सकता है। कई प्रसिद्ध खाद्य शृंखलाएं भी जनता की मांग से संबंधित कैप्टिव मांग का लाभ उठा रही हैं। कई कंपनियां लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर अपना आउटलेट खोलने की कोशिश कर रही हैं, जिसके राम मंदिर के उद्घाटन के बाद एक व्यस्त मार्ग बनने की उम्मीद है।
जबकि कुछ शृंखलाएँ धार्मिक संवेदनाओं को संतुष्ट करने के लिए अयोध्या में केवल शाकाहारी रेस्तरां खोल रही हैं। अन्य लोग जो घरेलू और विदेशी आगंतुकों की एक विस्तृत श्रृंखला को संतुष्ट करने के लिए मांसाहारी भोजन परोसना बंद नहीं करना चाहते हैं, यात्रियों की मांग को भुनाने के लिए शहर के बाहरी क्षेत्रों में रेस्तरां खोल रहे हैं।
आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र के अलावा बैंकिंग क्षेत्र की भी नजर वर्तमान या भविष्य में होने वाले भारी निवेश पर होती है। कई घरेलू बैंक राम नगरी में अपने विभिन्न शाखाओं को खोलने के लिए राम जन्मभूमि ट्रस्ट से संपर्क कर रहे हैं। पिछले साल देश भर से लगभग 3 करोड़ लोगों ने अयोध्या का दौरा किया था, जो मंदिर निर्माण के बाद आने वाले वर्षों में दोगुना या तिगुना होने का अनुमान है, अस्थायी आबादी में वृद्धि के साथ सरकार इस बात पर नजर रखने की कोशिश कर रही है कि क्या अयोध्या में मौजूदा बैंकिंग प्रणाली जनता की सेवा के लिए तैयार है या नहीं?।
वर्तमान में बैंक ऑफ बड़ौदा की जिले भर में सबसे अधिक शाखाएं (35) हैं। इसके अलावा सरकार का अनुमान है कि राम मंदिर भारी दान का स्रोत है जो शीर्ष 3 मंदिरों बालाजी, शिरडी और सिद्धि विनायक मंदिर के साथ प्रतिस्पर्धा कर आगे निकलने की कोशिश करेगा।
इस प्रकार, पर्यटन विकास के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास के परिणामस्वरूप काम के प्रचुर अवसर पैदा हुए हैं। आतिथ्य उद्योग में, परिवहन क्षेत्र और अन्य सहायक उद्योगों में कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के कर्मियों की आवश्यकता बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त, संपत्ति बाजार में पहले से ही उछाल आया है जो स्थानीय लोगों के लिए स्वर्णावसर है। इस आर्थिक विविधीकरण के कारण, अयोध्या के विस्तार से न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों को अपितु अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों को भी बूस्ट मिलेगा। जहां तक जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण का प्रश्न है। इसमें किसी करदाता का पैसा शामिल नहीं है। यह पूरी तरह से लगभग 5000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक दान के माध्यम से वित्तपोषित है।
भारत पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक समृद्धशाली मन्दिरों का देश है। भारत में सामाजिक संरचना इस प्रकार की है कि इसमें पर्यटन की बड़ी संभावनाएं हैं। यह काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल और केदारनाथ के पुनर्निर्माण के बाद आयी पर्यटकों की संख्या में अकल्पनीय अभिवृद्धि सिद्ध करती है। अन्तराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन से शहर में प्रति वर्ष कम-से-कम पांच करोड़ पर्यटकों के आने की संभावना है। यह संख्या स्वर्ण मंदिर और तिरूपति मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं से कहीं अधिक है। हवाई अड्डे जैसे बुनियादी ढांचे पर बड़े पैमाने पर खर्च करने से उत्तर प्रदेश का यह शहर एक बड़े पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो जाएगा।
एक अनुमान के मुताबिक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में प्रति वर्ष 03 से 3.5 करोड़ और तिरूपति मंदिर में 2.5 से 03 करोड़ लोग आते हैं। विश्व स्तर पर, वेटिकन सिटी में हर साल लगभग 90 लाख पर्यटक आते हैं और सऊदी अरब के मक्का में लगभग दो करोड़ पर्यटक आते हैं। जेफरीज के अनुसार, धार्मिक पर्यटन अभी भी भारत में पर्यटन का सबसे बड़ा खंड है। कई लोकप्रिय धार्मिक केंद्र बुनियादी ढांचे की बाधाओं के बावजूद हर साल 01 से 03 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसलिए, बेहतर संपर्क और बुनियादी ढांचे के साथ एक नए धार्मिक पर्यटन केंद्र अयोध्या का निर्माण एक बड़ा आर्थिक क्षेत्र पैदा कर सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या में नए हवाई अड्डे का प्रथम चरण चालू हो गया है और यह 10 लाख यात्रियों को संभाल सकता है। रेलवे स्टेशन को प्रतिदिन 60,000 यात्रियों को संभालने के लिए विस्तारित किया गया है। राम मंदिर के उद्घाटन से पहले ही अयोध्या में होटल भर गए थे। ताज और रेडिसन जैसे होटल उद्योग के दिग्गज भी इस उछाल में शामिल हो गए हैं। वर्तमान में अयोध्या में 590 कमरों वाले लगभग 17 होटल हैं। इसके अलावा 73 नए होटल तैयार किए जा रहे हैं। इंडियन होटल्स, मैरियट और विंडहैम पहले ही होटल बनाने के लिए समझौते कर चुके हैं। आईटीसी भी अयोध्या में संभावनाएं तलाश रही है। ओयो की योजना भी अयोध्या में एक हजार कमरे जोडऩे की है।
-राज सक्सेना