मुजफ्फरनगर में बारिश से कच्चे मकान धराशायी, रोनी हरजीपुर में परिवार दबा, डीएसओ दफ्तर भी प्रभावित

मुजफ्फरनगर। बरसात का सीजन मुसीबत बनकर सामने आ रहा है। ग्रामीण इलाकों में कच्चे मकान धराशायी हो रहे हैं, जिससे गरीब परिवारों का आशियाना उजड़ रहा है और वर्षों की मेहनत मिट्टी में मिल रही है। मंगलवार देर रात चरथावल क्षेत्र के गांव रोनी हरजीपुर में एक कच्चा मकान गिरने से चार लोग मलबे में दब गए, जबकि बुढ़ाना तहसील के गांव डूंगर में भी मकान की छत गिरने से अफरा-तफरी मच गई। जिला पूर्ति अधिकारी का दफ्तर भी इसकी चपेट में आ गया।
रोनी हरजीपुर हादसा: चार लोग मलबे में दबे
गांव निवासी अनुज पुत्र स्वर्गीय रमेश पवार अपने परिवार के साथ घर में सो रहे थे। देर रात तेज बारिश के चलते पूरा मकान भरभराकर गिर गया। मलबे में दबकर अनुज, उनकी पत्नी मनसा और दोनों बच्चे आर्यन व हर्षित गंभीर रूप से घायल हो गए। ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए मलबा हटाया और सभी को बाहर निकाला।
गंभीर हालत के चलते मनसा और दोनों बच्चों को मेरठ के आनंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे में दो पशुओं की मौत भी हो गई। घटना की जानकारी पर भाकियू नेता विकास शर्मा मौके पर पहुंचे और अधिकारियों से प्रभावित परिवार की मदद की मांग की।
डूंगर गांव में भी गिरा मकान
इसी प्रकार बुधवार को बुढ़ाना तहसील के गांव डूंगर में भी एक कच्चे मकान की छत अचानक गिर गई। मकान एक विधवा महिला का था। ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए परिवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। घटना की सूचना ग्रामीणों ने तत्काल एसडीएम बुढ़ाना को दी।
लगातार बारिश से बढ़ा खतरा
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले चार दिन से लगातार तेज बारिश हो रही है, जिससे कच्चे मकानों की दीवारें और छतें जर्जर हो गई हैं। सोमवार और मंगलवार की बारिश में जिलेभर में 13 स्थानों पर मकान और छत गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं, जबकि अब तक 15 से ज्यादा हादसे दर्ज हो चुके हैं।
सरकारी दफ्तर भी प्रभावित
तेज बारिश का असर सरकारी कामकाज पर भी पड़ा। सोमवार को कलेक्ट्रेट स्थित जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय में छत टपकने से पूरा दफ्तर पानी-पानी हो गया। कर्मचारी फाइलों को बचाने के लिए पन्नी और प्लास्टिक का सहारा लेते दिखे। बारिश से सरकारी कार्य बाधित हो गया और कार्यालय आए लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।
आवास योजनाओं पर सवाल
हर साल बरसात में कच्चे मकान गिरने की घटनाएं सामने आती हैं और प्रशासन आर्थिक सहायता देने का भरोसा देता है। सवाल यह है कि पात्र गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ क्यों नहीं मिल पाता। इन योजनाओं का उद्देश्य ही यह है कि गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराया जाए।
ग्रामीणों ने प्रशासन से प्रभावित परिवारों को तत्काल मुआवजा और स्थायी राहत दिलाने की मांग की है।