रवि किशन का बड़ा बयान! झूठे मुकदमों पर सख्त कानून की मांग – लोकसभा में गूंज
नई दिल्ली। लोकसभा के शून्यकाल में आज एक ऐसा मुद्दा गूंजा जिसने देशभर में लाखों निर्दोष लोगों की पीड़ा को आवाज दी। भारतीय जनता पार्टी के सांसद रवि किशन ने झूठे मुकदमे दर्ज कराने वालों के खिलाफ कड़ा और प्रभावी कानून बनाने की मांग रखी।
सांसद ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 248 का जिक्र करते हुए बताया कि यह धारा निर्दोष साबित होने पर आरोपी को झूठा आरोप लगाने वाले के खिलाफ मुकदमा दायर करने का अधिकार देती है, जिसमें पाँच से दस वर्ष की सजा का प्रावधान है। लेकिन इसकी प्रक्रिया अत्यंत लंबी है—नई एफआईआर, जांच, चार्जशीट, गवाह और बहस के बीच वर्षों बीत जाते हैं।
रवि किशन ने कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित और स्पष्ट कार्रवाई के लिए एक अलग, सख्त और तेज़ कानून की आवश्यकता है, जो निर्दोष लोगों को जल्द न्याय दिला सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सिर्फ झूठा केस दर्ज करने वालों पर ही नहीं, बल्कि ऐसे मामलों को मजबूत बताकर आगे बढ़ाने वाले जांच अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।
सदन में इस मुद्दे को गंभीरता से सुना गया और कई सांसदों ने इसका समर्थन किया।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि देश में फर्जी मुकदमों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे न्यायपालिका पर बोझ बढ़ रहा है, सरकारी खर्च बढ़ रहा है और निर्दोष लोग वर्षों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते रहते हैं।
रवि किशन की मांग ने एक बार फिर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं—
क्या झूठे मुकदमे दर्ज कराने वालों पर कड़ा कानून लाया जाना चाहिए?
क्या जांच एजेंसियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए?
क्या बीएनएस 248 को और अधिक तेज़, प्रभावी और उपयोगी बनाया जा सकता है?
ये सवाल बड़े हैं और इनके जवाब आने वाले समय में देश की न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।
