सदन में राहुल गांधी के 'संस्थाओं पर कब्जे' वाले आरोप पर घमासान; पक्ष-विपक्ष के नेताओं में जुबानी जंग तेज
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर अपनी 28 मिनट की स्पीच के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं पर कब्जा करने का गंभीर आरोप लगाया, जिससे संसद से लेकर सड़क तक की सियासत गरमा गई है।
राहुल गांधी ने अपनी स्पीच में स्पष्ट रूप से कहा कि आरएसएस और बीजेपी देश की संस्थाओं को नियंत्रित कर रही हैं, जिनमें चुनाव आयोग (EC), प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन नियंत्रणों से यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी, चुनाव आयोग को भी प्रभावित कर रही है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
एनडीए नेताओं की प्रतिक्रिया (हमलावर रुख):
राहुल गांधी के इन आरोपों के तुरंत बाद एनडीए के नेताओं की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं। बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी पर देश की संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने और 'झूठ की राजनीति' करने का आरोप लगाया। कई नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी अपनी चुनावी हार का ठीकरा इन संस्थाओं पर फोड़ रहे हैं, क्योंकि उन्हें लोगों के जनादेश पर विश्वास नहीं है।
विपक्षी नेताओं का समर्थन (सरकार पर हमला):
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ब्लॉक के नेताओं ने राहुल गांधी के बयान से पूरी तरह सहमति जताई है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि सरकार पूरी तरह अहंकारी हो चुकी है और विरोधियों को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने जो कहा है, वह देश के लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक हकीकत है। विपक्षी नेताओं ने एकजुट होकर सरकार के इस रवैये पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि वे इन आरोपों को देश की जनता के बीच ले जाएंगे।
बहरहाल, राहुल गांधी के बयान ने संसद के शीतकालीन सत्र में एक नया सियासी तूफान खड़ा कर दिया है, जिससे आने वाले दिनों में सदन के भीतर और बाहर राजनीतिक बहस और तीखी होने की संभावना है।
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