वाहन फाइनेंसिंग पर फोकस जारी रखेगी श्रीराम फाइनेंस
नयी दिल्ली। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी श्रीराम फाइनेंस ने जापान के एक बैंक से करीब 4.4 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा के बाद बैंकिंग में जाने की अटकलों को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि "हम इस काम में खुश हैं" और कंपनी फिलहाल वाहन फाइनेंसिंग पर फोकस जारी रखेगी। कंपनी ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि जापान का एमयूएफजी बैंक 39,618 करोड़ रुपये (लगभग 4.4 अरब डॉलर) के निवेश के साथ कंपनी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करेगा। इस निवेश को अभी नियामकीय मंजूरी मिलनी शेष है।
श्रीराम फाइनेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष उमेश रेवणकर ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा, "बैंकिंग लाइसेंस के बारे में फिलहाल कोई चर्चा नहीं हुई है। हम उन लोगों को लोन देते हैं जो बैंकिंग से नहीं जुड़े हैं या जिनके पास बैंकिंग तक सीमित पहुंच है, और हम इस काम में खुश हैं। मौजूदा व्यवसाय आगे बढ़ाने के लिए हमारे पास पर्याप्त अवसर हैं।"
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वाहनों की फाइनेंसिंग में अगले चार-पांच साल में 20 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से वृद्धि की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि कंपनी के कुल एसेट पोर्टफोलियो में 70 प्रतिशत के अधिक हिस्सेदारी वाहनों की है। वाणिज्यिक वाहनों की हिस्सेदारी 45.6 प्रतिशत, यात्री वाहनों की 21.2 प्रतिशत और दुपहिया की 3.3 प्रतिशत है। इसके अलावा छोटे एवं मझौले उद्योगों की हिस्सेदारी 14.4 फीसदी है।
एमयूएफजी का यह निवेश देश में किसी वित्तीय सेवा कंपनी में होने वाला सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। श्री रेवणकर ने बताया कि जापानी बैंक के निवेश के बाद श्रीराम फाइनेंस में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी घटकर 20.3 प्रतिशत रह जायेगी, हालांकि वे बुहलांश शेयरधारक बने रहेंगे और कंपनी के प्रबंधन पर उनका नियंत्रण होगा। वहीं, एमयूएफजी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अल्पांश शेयरधारक होगा।
एमयूएफजी बैंक के उपाध्यक्ष यासूशी इतागाकी ने कहा कि उनका बैंक श्रीराम फाइनेंस में अपनी भूमिका से खुश है। आने वाले समय में इस बात की समीक्षा की जायेगी कि भारतीय कंपनी के लिए क्या सब चुनौतियां हैं और जहां बैंक के पास विशेषज्ञता है वहां वह मदद करेगा - चाहे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो या जोखिम प्रबंधन के क्षेत्र में।
श्रीराम फाइनेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी पराग शर्मा ने कहा कि जापानी बैंक को 20 प्रतिशत हिस्सेदारी देने के पीछे एक कारण यह भी हैं कि साख निर्धारक कंपनियां इसे ज्यादा महत्व देती हैं। इससे कंपनी की रेटिंग में सुधार होगा जो वर्तमान में एए प्लस है। उन्होंने कहा कि रेटिंग एएए होने से पूंजी आसानी से उपलब्ध होगी और पूंजी लागत में 50-75 आधार अंकों (0.50-0.75 प्रतिशत) की कमी आयेगी।
