ईरान के 'सबसे संवेदनशील' परमाणु ठिकानों तक अब भी नहीं पहुंच सकी है संरा की परमाणु निगरानी एजेंसी
तेहरान। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफ़ेल ग्रॉसी ने कहा है कि संगठन ईरान के सबसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों तक पहुंच नहीं बना सका है। उधर ईरान ने कहा है कि वह 'अपने परमाणु संयंत्रों और वैज्ञानिकों की सुरक्षा' से जुड़ी चिंताओं के कारण आईएईए पर भरोसा नहीं कर सकता।
रिपोर्ट में श्री ग्रॉसी के हवाले से कहा गया, "हमें उन्हीं ठिकानों पर जाने दिया गया है जिन पर हमला नहीं हुआ था। नतांज़, इस्फ़ाहन और फोर्डाें तक पहुंचना और भी ज़्यादा अहम है क्योंकि इन ठिकानों पर काफ़ी मात्रा में परमाणु सामग्री और उपकरण मौजूद हैं।"
उल्लेखनीय है कि इजरायल और ईरान के बीच जून 2025 में तनाव बढ़ गया था और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हवाई हमले किये थे। इजरायल ने ईरान पर एक खुफिया परमाणु कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया था, जिसे ईरान ने सिरे से ख़ारिज किया है। इजरायल ने इस दावे के साथ 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला बोला था। इसके नौ दिन बाद अमेरिका ने भी 22 जून को नतांज़, इस्फ़ाहन और फोर्डाे में ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किये थे।
अमेरिकी हमलों के बाद ईरान ने जून के आखिर में एक संसदीय कानून के तहत आईएईए के साथ अपना सहयोग निरस्त कर दिया था। ईरान ने कहा था कि एजेंसी इज़रायली और अमेरिकी हमलों की निंदा करने में असमर्थ रही है। इसके साथ ही ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों और वैज्ञानिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताओं का हवाला भी दिया था।
आईएईए तब से ईरान से कह रहा है कि वह अपने निरीक्षकों को देश में लौटने दे और परमाणु संयंत्रों का निरीक्षण फिर से शुरू करे। इस आग्रह को हाल ही में ग्रॉसी ने अर्जेंटीना के एक अखबार को दिए साक्षात्कार में दोहराया था। इसके जवाब में ईरान के विदेश मंत्री इस्माइल बगाई ने कहा है कि ग्रॉसी ने बार-बार वही बातें कही हैं, जिससे मौजूदा हकीकत नहीं बदलेगी।
बगाई ने कहा कि ईरान परमाणु अप्रसार संधि का हिस्सा बना हुआ है। उसने आईएईए के साथ रक्षा समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित की है और वह अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह वाकिफ है।
शादाब जितेन्द्र
