फिल्म प्रोड्यूसर विक्रम भट्ट की गिरफ्तारी के मामले में उदयपुर आईजी और एसपी हाईकोर्ट में पेश
-42 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट विवाद की एफआईआर पर फैसला रिजर्व
जोधपुर। फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी श्वेतांबरी भट्ट की गिरफ्तारी के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट के आदेश पर आज उदयपुर आईजी गौरव श्रीवास्तव और एसपी योगेश गोयल वर्चुअली कोर्ट के सामने पेश हुए। मामले में याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों पक्षों की दलील सुनने और मामले के तथ्यों पर विचार करने के बाद कोर्ट ने आईजी से कई सवाल पूछे। इनमें एकबारगी तो कोर्ट ने पूरे प्रकरण को ही सीबीआई से जांच कराने तक की बात कही लेकिन फिलहाल कुछ भी अंतिम फैसला नहीं किया। करीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई के बाद जस्टिस समीर जैन ने 42 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े विवाद की एफआईआर पर फैसला रिजर्व रखा है।
दरअसल राजस्थान के इंदिरा ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक डॉ. अजय मुर्डिया ने विक्रम भट्ट से फिल्म बनाने के लिए 42 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट किया था। धोखाधड़ी का एहसास होने पर 17 नवंबर को विक्रम भट्ट समेत 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर उदयपुर में दर्ज कराई थी। इसके बाद उदयपुर पुलिस ने भट्ट के को-प्रोड्यूसर महबूब अंसारी व फर्जी वेंडर संदीप को मुंबई से पकड़ा था। वहीं विक्रम भट्ट और उनकी पत्नी श्वेतांबरी को 7 दिसंबर को मुंबई के उनके फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था। दोनों को 9 दिसंबर को उदयपुर कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया था। वहीं दूसरी तरफ 9 दिसंबर को ही राजस्थान हाईकोर्ट (जोधपुर बैंच) में विक्रम भट्ट की गिरफ्तारी पर रोक की याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई में राजस्थान हाईकोर्ट ने भट्ट दंपती की गिरफ्तारी में जल्दबाजी का रूख अपनाने पर आईजी, एसपी और जांच अधिकारी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। मामले में याचिकाकर्ता विक्रम प्रवीण भट्ट, उनकी पत्नी श्वेतांबरी भट्ट, मेहबूब अंसारी, मुदित बुट्टन, विक्रम भट्ट की बेटी कृष्णा, गंगेश्वरलाल श्रीवास्तव और अशोक दुबे हैं।
वहीं प्रतिवादी उदयपुर के अजय मुर्डिया हैं। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता महेंद्र गोदारा ने कोर्ट में तर्क दिया कि विक्रम भट्ट फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिष्ठित प्रोड्यूसर-डायरेक्टर हैं। उन्हें उनकी पत्नी के साथ मुबंई से रविवार को गिरफ्तार किया गया। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह मामला पूरी तरह से सिविल प्रकृति का है, क्योंकि पक्षकारों के बीच कांट्रेक्चुअल विवाद है। अधिवक्ता ने बताया- मौजूदा एफआईआर को देखने से साफ पता चलता है कि पक्षकारों के बीच फिल्म बनाने के लिए कॉन्ट्रेक्ट हुआ था। कॉन्ट्रेक्ट के तहत लगभग 42 करोड़ रुपए की राशि कंसिडरेशन थी। अधिवक्ता ने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट को विधिवत क्रियान्वित किया गया। इसके बाद भी भट्ट पर धोखाधड़ी और चीटिंग के आरोप लगाए गए।
अधिवक्ता ने कहा इस मामले में कोई प्रारंभिक जांच नहीं की गई है।? अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता (विक्रम भट्ट) समाज में गहरी जड़ें रखते हैं। यह मामला मजिस्ट्रेट की ओर से सुनवाई योग्य है। अधिवक्ता ने आगे बताया कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के कर्मचारियों के साथ मिलकर एफआईआर दर्ज कराई है। वहीं सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ता के कर्मचारियों के बयानों के बाद प्रारंभिक जांच की गई। इसके बाद कानून के अनुसार विधिवत रूप से याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी की गई। भट्ट ने अतिरंजित खर्च किए। इसी कारण विश्वासघात और धोखाधड़ी का अपराध याचिकाकर्ता की ओर से किया गया।
