लंदन। ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार को बड़ा झटका देते हुए प्रवासियों को रवांडा भेजने की योजना को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि इससे प्रवासियों का जीवन खतरेे में पड़ जाएगा।
देश की सर्वोच्च अदालत ने सर्वसम्मत निर्णय जारी करते हुए कहा कि यह नीति शरण चाहने वालों को “दुर्व्यवहार के जोखिम” में डाल देगी, क्योंकि रवांडा में उतरने के बाद उन्हें उनके गृह देशों में वापस भेजा जा सकता है।
सुनक, जिन्होंने इंग्लिश चैनल के पार छोटी नावों में ब्रिटेन पहुंचने वाले प्रवासियों को रोकने की कसम खाई है, ने कहा कि यह फैसला “वह परिणाम नहीं था जो हम चाहते थे”।
उन्होंने एक बयान में कहा, “हमने आज का फैसला देखा है और अब अगले कदम पर विचार करेंगे। यह वह परिणाम नहीं था जो हम चाहते थे, लेकिन हमने पिछले कुछ महीनों में सभी स्थितियों के लिए योजना बनाई है और हम नावों को रोकने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि “नावों को रोकने की उनकी प्रतिबद्धता अटल है”।
सुनक ने बुधवार को एक्स पर लिखा, “सरकार रवांडा के साथ एक नई संधि पर काम कर रही है और हम आज के फैसले के आलोक में इसे अंतिम रूप देंगे। यदि आवश्यक हो, तो मैं अपने घरेलू कानूनी ढांचे पर फिर से विचार करने के लिए तैयार हूं।”
यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब बर्खास्त गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन ने एक तीखे पत्र में सुनक पर चैनल को पार करने वाली छोटी नौकाओं को रोकने के लिए “जो भी करना पड़े” करने की उनकी प्रतिज्ञा को धोखा करार दिया था।
सुएला ने कहा कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में केस हार जाती है तो पीएम के पास कोई “प्लान बी” नहीं है।
ब्रेक्सिट के बाद से शुद्ध प्रवासन लगातार बढ़ रहा है, जो 2022 में 606,000 के रिकॉर्ड को छू गया है।
पिछले साल ब्रिटेन में रिकॉर्ड 45,775 लोगों को छोटी नावों में बिना अनुमति के आते हुए पाया गया था। इस साल अब तक 27,000 से ज्यादा लोग इस तरह आ चुके हैं।
अप्रैल 2022 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा शुरू की गई, रवांडा योजना का उद्देश्य शरण चाहने वालों को छोटी नावों या फुलाने योग्य नावों में यूरोप से इंग्लैंड के दक्षिणी समुद्र तटों तक चैनल के पार लगभग 20 मील की खतरनाक यात्रा करने से हतोत्साहित करना है।
योजना के तहत, पिछले साल 1 जनवरी के बाद अवैध रूप से ब्रिटेन पहुंचे किसी भी व्यक्ति को रवांडा में निर्वासन का सामना करना पड़ेगा।
यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के अंतिम मिनट के निषेधाज्ञा के बाद जून 2022 में पहली निर्वासन उड़ान को अवरुद्ध कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ब्रिटेन इस समय शरण आवेदनों से निपटने पर प्रतिवर्ष तीन अरब पाउंड से अधिक खर्च कर रहा है और प्रवासियों के आवास की लागत प्रतिदिन लगभग 6 मिलियन पाउंड है।