भारत में इस्पात आयात 22% बढ़ा, आरबीआई की रिपोर्ट में चेतावनी: घरेलू स्टील सेक्टर को मजबूती देने के लिए नीति उपाय अहम


घरेलू उत्पादन की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की आवश्यकता

रक्षोपाय शुल्क से आयात पर अंकुश
भारत ने घरेलू खपत की मांग को पूरा करने के लिए इस्पात उत्पादों का आयात किया। 2024-25 की पहली छमाही में आयात 10.7 फीसदी बढ़ा, जबकि दूसरी छमाही में कमी देखी गई। इसका मुख्य कारण रक्षोपाय शुल्क और सुरक्षा उपाय थे। दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों से 45% इस्पात भारत में आयात किया जाता है।
मुख्य निर्यातक देशों का योगदान
2024-25 में आयात में तेजी आई, जिसमें दक्षिण कोरिया की हिस्सेदारी 14.6%, चीन की 9.8%, अमेरिका 7.8%, जापान 7.1% और ब्रिटेन 6.2% रही। अप्रैल 2022 से नवंबर 2024 तक भारत की इस्पात खपत औसतन 12.9% मासिक वृद्धि दर से बढ़ी है।
निर्यातक देशों की मूल्य निर्धारण रणनीति
आरबीआई के अधिकारी अनिर्बन सान्याल और संजय सिंह ने बताया कि बढ़ते आयात और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण से घरेलू उत्पादकों पर दबाव बढ़ा है। निर्यातक देशों की रणनीतियां इस्पात उद्योग के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं।
नीतिगत उपायों की आवश्यकता
इस चुनौती से निपटने के लिए संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है। इसमें नीतिगत समर्थन, नवोन्मेषण, लागत दक्षता और टिकाऊ व्यवहार के माध्यम से भारत के इस्पात उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाने के उपाय शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उचित नीतिगत कदम से घरेलू स्टील सेक्टर मजबूत बन सकता है और वैश्विक डंपिंग के प्रभाव को कम किया जा सकता है।