जानकारी के अनुसार, दोनों सिपाही जेल से हवालात में बंदियों की पेशी ड्यूटी पर तैनात थे। 4 अक्टूबर को ये दोनों डासना जेल पहुंचे, जहाँ मौजूद छह बंदियों में से केवल एक बंदी बिजेंद्र को नोएडा पेशी पर ले जाने की ज़िद करने लगे। इस संदिग्ध व्यवहार से जेल अधीक्षक को शक हुआ और जांच कराई गई।
जांच में पता चला कि दोनों सिपाही निजी गाड़ी से बंदी को लेने पहुंचे थे, जबकि उस दिन गौतमबुद्धनगर पेशी के लिए उनकी कोई आधिकारिक रवानगी पुलिस लाइन के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं थी। संदिग्ध हालात को देखते हुए उच्चाधिकारियों को सूचित किया गया।
इसके बाद पुलिस ने कविनगर थाने में दोनों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कराई। आरोप है कि सचिन और राहुल कुमार ने बंदी वंश को भगाने की साजिश रची थी।
पुलिस ने दोनों सिपाहियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गंभीरता को देखते हुए विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
एसीपी सूर्यबली मौर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि रिज़र्व पुलिस लाइंस गाजियाबाद के आरआई द्वितीय चन्द्रभान सिंह द्वारा थाना कविनगर में एक तहरीर दी गई थी। तहरीर में आरोप लगाया गया कि पुलिस लाइन्स में नियुक्त आरक्षी सचिन कुमार और राहुल कुमार ने डासना जेल जाकर दो अभियुक्तों — विजेंद्र और वंश — को भगाने का प्रयास किया।
उक्त प्रकरण में मामला संदिग्ध पाए जाने के बाद थाना कविनगर में संबंधित धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है। दोनों आरोपी आरक्षियों को पुलिस ने अभिरक्षा में ले लिया है और अग्रिम विधिक कार्यवाही जारी है।