गुरुग्राम में अवैध निर्माण पर कार्रवाई ठप: नोटिस तक सिमटी नगर निगम की इन्फोर्समेंट टीम, हर महीने बढ़ रहा राजस्व घाटा

Gurugram News: गुरुग्राम नगर निगम की इन्फोर्समेंट टीम अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस जारी करने तक ही सीमित है। वजीराबाद और सरस्वती विहार क्षेत्र में खुलेआम अवैध निर्माण जारी हैं, जिससे निगम को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। अधिकारी दावा तो करते हैं कि नोटिस भेजे गए हैं, लेकिन वास्तविक कार्रवाई यानी तोड़फोड़ अब तक नहीं हुई।
खानापूर्ति से आगे नहीं बढ़ रही इन्फोर्समेंट टीम
बिल्डिंग प्लान से अधिक अवैध निर्माण
निगम के आंकड़े बताते हैं कि हर महीने करीब 40 से 50 बिल्डिंग प्लान मंजूर किए जाते हैं, लेकिन अवैध निर्माणों की संख्या हजार से अधिक पहुंच जाती है। बिल्डिंग प्लान पास न कराने से निगम को लाखों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि नोटिस भेजे गए हैं और जल्द तोड़फोड़ होगी।
ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट भी नहीं ले रहे बिल्डिंग मालिक
जिन इमारतों का नक्शा पास होता है, उनमें भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। नक्शे के अनुसार निर्माण न करने के कारण मालिक ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (ओसी) भी नहीं ले रहे। नियमानुसार इस तरह की बिल्डिंग का नक्शा रद्द किया जा सकता है, लेकिन निगम ने अब तक ऐसे किसी मालिक पर कठोर कार्रवाई नहीं की है।
लंबे समय से टिके जेई और सुपरवाइजर
इन्फोर्समेंट टीम में तैनात जेई और सुपरवाइजर का वर्षों से तबादला नहीं किया गया है। जबकि हाल ही में निगम के क्लर्कों को अवैध कूड़ा उठाने वालों को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सवाल यह है कि जब क्लर्कों का तबादला संभव है तो इन्फोर्समेंट टीम पर क्यों ढिलाई बरती जा रही है।
जिम्मेदार अधिकारियों के नाम सामने
नगर निगम के जोन चार में एसडीओ आरके मोंगिया की ड्यूटी है। उनके साथ जेई रोहित जाखड़, कपिल और प्रदीप शर्मा तैनात हैं। सभी लंबे समय से इन्फोर्समेंट विंग में ही हैं। एसडीओ मोंगिया का कहना है कि इस सप्ताह के अंत तक अवैध निर्माणों पर तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू की जाएगी और चिन्हित बिल्डिंग ढहाई जाएंगी।
छज्जों तक सिमटी कार्रवाई, बिल्डिंग जस की तस
अब तक की गई कार्रवाई में नगर निगम की टीम ने सिर्फ छज्जे और दीवारें तोड़ी हैं, किसी भी इमारत को पूरी तरह ढहाया नहीं गया। नतीजतन, अवैध निर्माण करने वाले फिर से वही ढांचा खड़ा कर लेते हैं। इस ढुलमुल रवैये से न सिर्फ नियमों की अनदेखी हो रही है बल्कि नगर निगम की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं।