व्यापारियों की हिचक, हैंडीक्राफ्ट और पर्यटन पर संकट! समझिए संभल की आर्थिक परेशानी का पूरा गणित

Sambhal News: संभल शहर दंगों और दहशत के कारण अपनी औद्योगिक पहचान खोता जा रहा है। कभी यह शहर गुड़, मूंगफली और खंडसारी की बड़ी मंडियों के लिए प्रसिद्ध था। पंजाब, बंगाल और हरियाणा से व्यापारी यहां आते थे। लेकिन दंगों और हिंसा के बाद बाहरी व्यापारियों ने संभल आना कम कर दिया, जिससे कारोबार में भारी गिरावट आई है।
पलायन और व्यापारिक नुकसान
इतिहास और हिंसा का लंबा रिकॉर्ड
संभल आजादी के बाद से लगातार दंगों का सामना करता रहा है। 1947 से 2019 तक यहां 15 बार दंगे भड़क चुके हैं, जिसमें 213 लोगों की हत्या हुई और 73 दिन कर्फ्यू भी लगा। हालिया हिंसा 24 नवंबर, 2024 को जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में हुई। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर हिंदुओं के पलायन की बात सामने आई है।
हैंडीक्राफ्ट और मैंथा कारोबार पर प्रतिकूल असर
संभल में हैंडीक्राफ्ट की लगभग 1,500 इकाइयां हैं, जिनका कारोबार 500 करोड़ के आसपास है। लेकिन दंगों और अशांति के कारण उत्पादन अपेक्षा के अनुसार नहीं बढ़ सका। मैंथा की मंडी एशिया की सबसे बड़ी मानी जाती थी, लेकिन अब केवल 20–25 प्लांट ही चल रहे हैं। मंडी शुल्क और सिंथेटिक उत्पादों की प्रतिस्पर्धा ने भी कारोबार को प्रभावित किया।
आलू और कोल्ड स्टोरेज व्यवसाय पर असर नहीं
हालांकि दंगों से अन्य कारोबार प्रभावित हुए हैं, आलू व्यापार पर कोई खास असर नहीं पड़ा। संभल में 69 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनका सालाना कारोबार लगभग पांच अरब रुपए तक पहुँचता है।
हिंसा के बाद व्यावसायिक बाधाएं
दंगे के बाद पुलिस प्रशासन सुरक्षा के कड़े इंतजाम करता है। पिकेट और घेराबंदी के कारण व्यापारी अपने प्रतिष्ठान तक नहीं पहुंच पाते और दुकानों को बंद करना पड़ता है। डर की वजह से मजदूर काम पर नहीं आते और ग्राहक अन्य बाजारों में खरीदारी करते हैं। इंटरनेट बंद होने से ई-बिलिंग और डिजिटल लेन-देन भी प्रभावित होता है।