दीपावली 2025: असली तारीख क्या है? जानिए पूरे पांच दिन का त्योहार कब-कब है

नई दिल्ली। साल का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली की तैयारियां शुरू हो गई हैं। घरों में रंग-रोगन, साफ-सफाई और सजावट का माहौल है। इस बार दिवाली कब है? 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर? इसी को लेकर हिंदू पंचांग और ज्योतिषाचार्यों के बीच कुछ असमंजस चल रहा है। आइए जानते हैं पूरी जानकारी।
धनतेरस: 18 अक्टूबर, शनिवार
इस दिन राहुकाल सुबह 9:15 से 10:40 बजे तक रहेगा। धनतेरस के दिन खरीदारी के लिए इसी समय का विशेष ध्यान रखें। सूर्योदय के समय बारस तिथि शुरू होगी।
रूप चौदस: 19 अक्टूबर, रविवार-
दीपावली: 20 अक्टूबर, सोमवार दोपहर 2:42 बजे तक चौदस तिथि रहेगी, उसके बाद अमावस्या प्रारंभ होगी।
अन्नकूट: 22 अक्टूबर
भाईदूज: 23 अक्टूबर
क्यों 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी दिवाली?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार दीपावली अमावस्या तिथि के प्रदोष काल में होती है। इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 2:42 बजे शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक रहेगी। चूंकि दिवाली का पूजा समय रात का होता है, इसलिए 20 अक्टूबर की शाम को दीपावली का पर्व मनाना उचित माना गया है।
असमंजस क्यों है?
हिंदू पंचांग में दो प्रमुख ज्योतिष पद्धतियां हैं:
ग्रह चैत्र पद्धति: गणितीय आधार पर
ग्रह लाघव पद्धति: सूक्ष्म गणित पर आधारित
इन दो पद्धतियों के कारण तिथियों के निर्धारण में अंतर होता है, इसलिए विद्वानों के विचार भिन्न हो सकते हैं।
धर्मशास्त्र में दो मत प्रचलित हैं:
धर्म सिंधु के अनुसार: यदि प्रदोष काल में दो दिन तिथि आती है तो पहली तिथि पर ही पूजा करना चाहिए।
पुरुषार्थ चिंतामणि के अनुसार: यदि अमावस्या दो दिन तक रहे और दूसरे दिन प्रदोष काल में कम से कम 24 मिनट भी मिले तो पूजा अगले दिन करनी चाहिए।
इस बार माता लक्ष्मी के भ्रमण के कारण अमावस्या की रात यानी 20 अक्टूबर को ही दिवाली का पर्व मनाना श्रेष्ठ माना गया है।
स्थानीय समय का रखें ध्यान
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय हर स्थान पर अलग होता है, इसलिए दिवाली पूजन का सही समय जानने के लिए अपने क्षेत्र के स्थानीय पंचांग और ज्योतिषाचार्यों से संपर्क करें।
पिछले साल भी था मतभेद
पिछले वर्ष भी दिवाली की सही तिथि को लेकर असमंजस था। इंदौर की ज्योतिष परिषद ने 1 नवंबर तय किया था, जबकि उज्जैन के ज्योतिषियों ने 31 अक्टूबर को ही सही माना था। अमावस्या की शुरुआत 31 अक्टूबर की शाम हुई थी, इसलिए पूजा उसी दिन करना उचित माना गया था।