गाजियाबाद। गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव को लेकर इस बार भी मतदाताओं में कोई खास उत्साह नहीं दिखाई दिया। हालांकि पिछले दो उपचुनाव के मुकाबले इस बार मत प्रतिशत में कुछ वृद्धि हुई, लेकिन प्रदेश की अन्य सीटों पर हुए उपचुनाव के मुकाबले यहां मत प्रतिशत काफी कम रहा। इस बार शहरी सीट पर उपचुनाव में 33.30 प्रतिशत लोगों ने अपने मतों का उपयोग किया। लेकिन गाजियाबाद में वर्ष 2022 में हुए आम चुनाव के मुकाबले यह मत प्रतिशत काफी कम रहा। तीसरी बार उपचुनाव के दौरान हुए कम मत प्रतिशत का विषय अधिकारियों और आमजन के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
मत प्रतिशत कम होने का एक कारण ये भी
शहरी विधानसभा सीट पर विजय नगर और क्रॉसिंग रिपब्लिक के इलाके के अधिकांश लोग दिल्ली, गुरूग्राम और नोएडा में डयूटी के लिए जाते हैं। दिल्ली, गुरूग्राम और नोएडा में उपचुनाव के लिए मतदाताओं को कोई अवकाश नहीं मिला। जिस कारण इन तीनों स्थानों पर ड्यूटी करने वाले मतदाता अपना वोट डालने से वंचित रह गए, या ये कहें कि उन्होंने मतदान से अधिक अपनी नौकरी को तवज्जो दी। हालांकि इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल के बाहर 100 से अधिक मतदाता मतदान शुरू होने से पहले पहुंचे। इनमें अधिकतर मतदाता वह रहे जो कि दिल्ली, गुरूग्राम और नोएडा में ड्यूटी करने के लिए जाते हैं। वह अपने मताधिकार का प्रयोग ड्यूटी पर जाने से पहले करना चाहते थे। लेकिन समय पर मतदान शुरू नहीं होने के कारण उनको वापस लौटना पड़ा। वहीं, कुछ मतदान केन्द्रों पर मोबाइल लेकर वोट डालने आए मतदाताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। इसी तरह की समस्या कुछ अन्य मतदान केन्द्रों पर भी देखने को मिली।
पूर्व में हो चुके हैं दो उपचुनाव
पिछले दो उपचुनाव के मुकाबले इस बार मत प्रतिशत अधिक रहा है। उपचुनाव में मत प्रतिशत बढ़ाने और मतदाताओं की सुस्ती तोडऩे में सभी पार्टी के प्रत्याशी और जिला प्रशासन हमेशा की तरह इस बार भी नाकाम रहा। आंकड़ा बताता है कि किसी भी उपचुनाव में मत प्रतिशत 34 प्रतिशत से अधिक नहीं पहुंच सका। बतादें कि गाजियाबाद में इससे पहले दो उपचुनाव हो चुके हैं। पहला उपचुनाव शहरी विधानसभा सीट के लिए 2004 में हुआ। जबकि दूसरा उपचुनाव 2016 में नगर निगम में मेयर पद को लेकर हुआ था। इन दोनों ही उपचुनाव में मत प्रतिशत काफी कम रहा था।
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आंकड़ों के आइने में गाजियाबाद के उपचुनाव
बुधवार हो शहरी विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में 33.30 प्रतिशत वोट डाले गए। जो कि पिछले दो उपचुनाव से अधिक हैं। इससे पहले गाजियाबाद में 2004 में हुए विधानसभा उपचुनाव में 28.79 प्रतिशत मतदान हुआ था। उस दौरान शहरी विधानसभा उपचुनाव के लिए 602 मतदान केन्द्र बनाए गए थे। उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के सुरेन्द्र कुमार मुन्नी को 29.92 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। भाजपा की सुनीता दयाल तीसरे नंबर पर रही थीं। सुनीता दयाल को 20.66 प्रतिशत वोट मिले थे। विजयी सेहरा सपा के सुरेन्द्र कुमार मुन्नी के माथे पर सजा था।
वहीं, फरवरी 2016 में नगर निगम के मेयर पद के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा के आशु वर्मा ने सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (एसपी) के उम्मीदवार सुधन रावत को 45 हजार से अधिक वोटों से हराया था। आशु को कुल 1,15,879 और सपा को 70,751 वोट हासिल हुए। जबकि कांग्रेस के लालमन को 23,317 वोट से ही संतोष करना पड़ा था। महापौर के उपचुनाव में केवल 18.54 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस उपचुनाव में भाजपा के आशु वर्मा, एसपी के सुधन रावत और कांग्रेस के लालमन सहित कुल 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे।