पाचन से वजन तक, सेहत का खजाना है भुना जीरा
नई दिल्ली। भारतीय रसोई का अहम मसाला जीरा सिर्फ स्वाद बढ़ाने वाला नहीं, बल्कि सेहत का असली खजाना है। आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि कच्चा जीरा जितना फायदेमंद है, उससे दोगुना फायदेमंद भुना जीरा होता है। पाचन, खून, वजन और हार्मोन संतुलन का आयुर्वेदिक रक्षक है, बशर्ते सही तरीके से सेवन किया जाए। आयुर्वेद में जीरे को 'दीपनीय' यानी पाचन अग्नि बढ़ाने वाला और वात-कफ दूर करने वाला बताया गया है। चरक संहिता कहता है- "जीरकं दीपनं श्रेष्ठं" यानी यह श्रेष्ठ पाचक है।
रात में एक चम्मच जीरा भिगो दें, सुबह उबालकर गुनगुना पीएं। इससे पाचन मजबूत होता है, पेट साफ रहता है, मोटापा और सूजन कम होती है। भुना जीरा पाउडर पाचन के लिए बेहतरीन है। भुना जीरा चूर्ण बनाकर भोजन के बाद चुटकीभर लें। यह गैस, खट्टी डकार और पेट दर्द में तुरंत आराम देता है। भूनने से इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण और बढ़ जाते हैं। जीरा, सौंफ और धनिया बराबर मात्रा में उबालकर पानी पीएं। यह हार्मोन बैलेंस करता है, पीरियड्स की समस्या और पेशाब के दौरान होने वाली जलन में फायदेमंद है। छाछ में भुना जीरा और सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर पीने से आंतें साफ होती हैं, कब्ज में राहत मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार, कमजोर पाचन अधिकतर बीमारियों की जड़ है।
भुना जीरा पाचन अग्नि को सक्रिय करता है, बिना एसिडिटी बढ़ाए। यह गैस बाहर निकालता है, दस्त रोकता है और कब्ज दूर करता है। साथ ही तनाव कम करता है और पेट की सूजन घटाता है। जीरा सिर्फ तड़का नहीं, बल्कि पाचन, खून, वजन और हार्मोन का प्राकृतिक रक्षक है। भुना जीरा फायदेमंद है, जिसे दिनचर्या में शामिल कर स्वस्थ रहा जा सकता है। हालांकि, कुछ सावधानी भी जरूरी है। दिन में एक या दो चम्मच से ज्यादा न लें, वरना पेट में जलन हो सकती है। गर्भवती महिलाएं सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करें। डायबिटीज में सहायक है, लेकिन दवा की जगह नहीं।
