जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को नोटिस भेजा
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने के लिए लोकसभा स्पीकर की ओर से गठित कमेटी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को करने का आदेश दिया।
जस्टिस वर्मा का कहना है कि जब 21 जुलाई को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव पेश किया गया था, तो ऐसी सूरत में जजेज इन्क्वारी एक्ट के तहत आगे जांच के लिए दोनों सदन की संयुक्त कमेटी का गठन होना चाहिए था। ऐसे में लोकसभा स्पीकर की ओर से कमेटी का गठन गलत है।
जस्टिस वर्मा की याचिका में कहा गया है कि जजेज इन्क्वायरी में साफ तौर पर उल्लेख है कि अगर किसी जज को हटाने का प्रस्ताव एक ही दिन में संसद के दोनों सदन में पेश किया जाता है, तो तब तक कोई कमेटी का गठन नहीं होगा। जब तक संसद के दोनों सदन इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर लेते और संसद के दोनों सदन में जब प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाएगा तो स्पीकर और चैयरमेन एक संयुक्त कमेटी का गठन करेंगे। जस्टिस यशवंत वर्मा का कहना है कि जब उन्हें हटाने का प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा में एक ही दिन पेश हुआ, तो राज्यसभा में उस पर कोई फैसला न लिए जाने पर भी लोकसभा स्पीकर ने कैसे कमेटी का गठन कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी के गठन का आदेश दिया था। इस जांच कमेटी में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। जस्टिस यशवंत वर्मा जब दिल्ली उच्च न्यायालय के जज थे, उस समय उनके घर पर 14 मार्च को आग लगने के बाद अग्निशमन विभाग ने कैश बरामद किया था।
