वाशिंगटन। जार्डन में अमेरिकी सैनिकों पर हमले के बाद व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि अमेरिका ईरान के साथ या क्षेत्र में व्यापक युद्ध नहीं चाहता। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि जॉर्डन में अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने के लिए एक ड्रोन जिम्मेदार था। वहीं, जॉर्डन मामले को लेकर राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका इसका जवाब देगा। बाइडन ने साउथ कैरोलिना में कहा कि पश्चिम एशिया में हमारे लिए पिछली रात काफी कठिन गुजरी। हमने अपने तीन बहादुर सैनिकों को खो दिया।
वहीं जार्डन में अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर ड्रोन से हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत पर ईरान के विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है। मंत्रालय का कहना है कि हमले में तेहरान का कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कहा कि संघर्षरत समूह अपने खुद के सिद्धांत और प्राथमिकता के आधार पर फैसला लेते हैं। वह फलस्तीन और वहां के लोगों का किस तरह समर्थन करेंगे यह फैसला उनका अपना है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने चुने गए तरीके और समय के हिसाब से उन्हें जवाबदेह ठहराएगा। इस बीच पूर्वी सीरिया में ईरान समर्थित आतंकियों की ओर से अपने ठिकानों को खाली कर दूसरी जगह जाने की बात सामने आ रही है। उन्हें भय है कि अमेरिका हवाई हमले कर उन्हें निशाना बनाएगा। ये क्षेत्र मयादीन और बौकामल के गढ़ हैं।गौरतलब है कि सात अक्टूबर के बाद इजरायल और हमास के बीच युद्ध छिड़ने के बाद से ईरान समर्थित आतंकियों की ओर से अमेरिकी सेना पर हमले बढ़ गए हैं। ये समूह इजरायल के गाजा पर हमले का विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिकी सैनिकों पर 150 से अधिक हमले किए हैं। पहला बड़ा हमला 18 अक्टूबर को इराक में मौजूद अमेरिकी सैनिकों पर बोला गया था। इसके बाद लगातार हमले जारी हैं। रविवार को किए गए घातक हमले से पहले 20 जनवरी को बड़ा हमला बोला गया था। इसमें ईरान के मिलिशिया समूह ने इराक में मौजूद अमेरिकी हवाई बेस पर कई मिसाइलें दागी थीं।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने सोमवार को कहा कि वह पश्चिम एशिया में तनाव को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने सीरिया सीमा के पास पूर्वोत्तर जार्डन में अमेरिकी सैनिकों पर हुए हमले के बाद ईरान से तनाव कम करने का आग्रह किया है। सुनक ने कहा कि ब्रिटेन ड्रोन हमलों की ¨नदा करता है। सुनक ने कहा कि हम क्षेत्र में स्थिरता और शांति के लिए अपने सहयोगियों के साथ द्रढ़ता से खड़े हैं।