शामली में वन विभाग की नाक के नीचे फल-फूल रहा अवैध लकड़ी कारोबार, वायरल वीडियो ने खोली पोल

शामली। जनपद शामली में वन विभाग की लापरवाही और संदिग्ध चुप्पी ने अवैध लकड़ी कारोबार को खुली छूट दे दी है। कैराना रोड पर हर सुबह लकड़ी से भरे वाहनों की कतारें और आढ़तियों की चहल-पहल इस बात की तस्दीक करती हैं कि यहां पर हरियाली नहीं, हेरा-फेरी फल-फूल रही है।
"ड्राइवर भाग गया... आढ़ती आए... कागज़ नहीं थे, इसलिए छोड़ दिया"
दारोगा जी ने स्वीकार किया कि वीडियो उनके संज्ञान में है। वो अपनी टीम के साथ मौके पर भी पहुँचे थे, लेकिन ड्राइवर न मिलने और आढ़तियों के विरोध के चलते कोई कार्यवाही नहीं कर सके। उन्होंने यह भी जोड़ा कि लकड़ी उनके क्षेत्र की नहीं, बल्कि बागपत जनपद से लाई गई है, इसलिए उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया।
अब सवाल यह उठता है कि क्या वन विभाग अब अवैध लकड़ी पर भी "सीमा" देखकर कार्यवाही करेगा? या फिर यह कोई "सेटिंग-गेटिंग" का मामला है, जिसमें विभागीय लाचारी महज़ दिखावा है?
शीशम के कटान और परिवहन के क्या हैं नियम?
शीशम का कटान वन विभाग की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता। कटान की अनुमति के बाद, परिवहन के लिए "रवाना" पास लेना अनिवार्य होता है। इसके बिना लकड़ी का एक इंच भी एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना कानूनन अपराध है।
कैराना रोड बना लकड़ी माफियाओं का हब
वीडियो जिस कैराना रोड का है, वह अवैध लकड़ी कारोबार का गढ़ बन चुका है। सड़क के दोनों ओर लकड़ी से लदे ट्रक, ट्रैक्टर और पिकअप खड़े रहते हैं, और आढ़ती मेज़ लगाकर खरीद-फरोख्त में जुटे रहते हैं।
सुबह के वक्त स्कूली बच्चों और आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार इन अवैध वाहनों की वजह से दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं।
यह पहली बार नहीं…
वन विभाग की लापरवाही कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी बिना अनुमति कटान और परिवहन के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन हर बार लीपापोती कर दी जाती है।
अब देखना यह होगा कि इस वीडियो सबूत के बावजूद कार्यवाही होती है या नहीं। क्या विभाग के अधिकारी दारोगा अशोक कुमार की “लाचारी” की जांच करेंगे या फिर यह मामला भी धूल फांकता रहेगा?
जनता का सवाल: "लाचारी या सांठगांठ?"
अब फैसला जनता को करना है — क्या वन विभाग सचमुच लकड़ी माफियाओं के सामने बेबस है, या फिर पर्दे के पीछे कुछ और खेल चल रहा है?