खतौली। कस्बे में झुंड के रूप में घूम रहे बंदरों, आवारा कुत्तों और पशुओं का आतंक चरम पर है।
सोमवार को बंदरों के झुंड द्वारा किए गए हमले में एक महिला की मौत होने से नागरिकों में भय के साथ ही सरकारी व्यवस्था के प्रति आक्रोश व्याप्त है। परेशान नागरिकों ने बंदरों, आवारा कुत्तों और पशुओं के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों से की है।
सोमवार को अपने घर की तीसरी मंज़िल की छत पर मौजूद महिला निकिता बंसल पर बंदरों के झुंड ने अचानक हमला बोल दिया था। बंदरों के हमले से घबरा कर छत से सड़क की तरफ छलांग लगाने के चलते गंभीर घायल हुई निकिता ने दम तोड दिया था। बंदरों के हमला करने से निकिता की मौत होने से लोगों में भय के साथ ही सरकारी सिस्टम के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
कस्बे में झुंड बनाकर घूम रहे बंदरों और आवारा कुत्तों को पकड़ कर जंगल में छोड़े जाने की मांग नागरिकों द्वारा समय समय पर जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों से की जाती रही है। लेकिन जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। जिसका खामियाजा महिला निकिता को अपनी जान से हाथ धोकर भुगतना पड़ा है। नागरिकों के अनुसार कस्बे में बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक चरम पर है। झुंड बनाकर घूम रहे बंदरों के आतंक के चलते महिलाएं अपने घरों की छतों पर कपड़े सुखाने अथवा धूप में बैठने जाने से भी डरने लगी है। इसके अलावा कस्बे के गली मोहल्लों में आवारा कुत्तों ने नागरिकों का पैदल चलना दूभर कर रखा है।
आवारा कुत्ते बच्चों और बड़ों को बुडक मारकर इन्हें अस्पताल पहुंचा रहे हैं। नागरिकों का आरोप है कि सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी समस्या से निजात दिलाने के बजाए उदासीन बने हुए हैं। परेशान कस्बेवासियों ने बंदरों और आवारा कुत्तों को पकड़ कर जंगल में छोड़े जाने की मांग नगर पालिका परिषद से की है।