मेरठ: 84 वर्षीय बुजुर्ग का देहदान, मेडिकल छात्रों के लिए बना “साइलेंस टीचर”
मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि जून 2017 में दीनदयाल आर्य पुत्र बिहारी उम्र 84 वर्ष निवासी आर्य नगर, सरधना रोड ने मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में अपना देहदान का रजिस्ट्रेशन कराया था। जिनकी मृत्यु के उपरांत उनके बच्चों के द्वारा उनका मृत देह संपूर्ण शरीर मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में अध्यनरत विद्यार्थियों को दान किया गया।
इस दौरान प्राचार्य ने कहा कि देहदान को महादान कहा जाता है। मृत देह मेडिकल कॉलेज के छात्रों के लिए साइलेंस टीचर की तरह होती है। वे आपके शारीरिक अंगों पर प्रैक्टिकल कर दूसरों को जीवन देना सीखते हैं।
इंसान की जिंदगी बचाने के लिए चिकित्सकों की अहम भूमिका मानी जाती है और एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को पढ़ाई के लिए मृत शरीर का भी बड़ा योगदान होता है। देहदान न होने के कारण एमबीबीएस के छात्रों को पढ़ाई में कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता था, लेकिन अब धीरे-धीरे लोग देहदान के प्रति जागरूक हो रहे हैं, जिससे एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी काफी मदद मिल रही है। इंसान की जिंदगी बचाने के लिए चिकित्सकों की अहम भूमिका मानी जाती है। देहदान के लिए अब धीरे-धीरे लोग जागरूक हो रहे हैं।
शरीर रचना विभाग की विभागाध्यक्ष ने बताया कि एन०एम०सी० की गाइडलाइन के अनुसार एम बी बी एस पाठ्यक्रम में पठन पाठन हेतु प्रत्येक वर्ष कुल 15 शव(मृत देह) की आवश्यकता होती है।
