कोलकाता। केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राष्ट्रीय जैविक एवं जूट प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएनएफईटी) के 87वें स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने विभिन्न जूट और फाइबर दुकानों का दौरा किया और जूट उद्योग और विज्ञान के आपसी संबंधों पर चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान गिरिराज सिंह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कपड़ा उद्योग का ऐतिहासिक महत्व है और यह राज्य कई अवसरों से भरा हुआ है।
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उन्होंने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा, “आप मोदी जी या हमसे नफरत कर सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों के काम को देखें और उन्हें अवसर दें। राज्य की प्रतिभा को आगे बढ़ने का मौका दें।” गिरिराज सिंह ने आगे कहा कि जूट और कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में बंगाल को और अधिक अवसर मिलने चाहिए और यहां के शोधकर्ताओं और उद्योगों को उचित समर्थन दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “देश में पश्चिम बंगाल सबसे बड़ा जूट उत्पादक राज्य है। यहां पर लगभग चालीस लाख किसान और लगभग चार लाख जूट मिल के मजदूर हैं।”
उन्होंने कहा कि अब जूट में वैल्यू एडिशन हो गया। वैल्यू एडिशन करने का तरीका यही है। अब वैल्यू एडिशन पर, अभी लगभग केवल कोलकाता से दो हजार करोड़ का हम विदेशों में शॉपिंग बैग भेज रहे हैं और आईसीएआर इस दिशा में अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ देश के सभी लोगों का मानना है कि हम सभी एकजुट होकर काम कर रहे हैं। हमारा मकसद किसानों की आमदनी बढ़ाना है।
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दूसरी तरफ इंडस्ट्री प्रोडक्ट डाइवर्सिफिकेशन को बढ़ाना देना है। उन्होंने कहा कि जूट उद्योग में सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि पुराने तरीके से काम करने से अब उतना लाभ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह उद्योग को विविधीकृत करने और मूल्य वृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने का सुझाव दे रहे हैं। गिरिराज सिंह ने आगे कहा कि जूट के उत्पादों में सुधार करके उन्हें बेहतर और अधिक मांग वाले उत्पादों में बदला जाए, जैसे कि विदेशों में शॉपिंग बैग्स भेजना।
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उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि जूट के उत्पादों में, खासकर कच्चे जूट में, यदि बदलाव किए जाएं तो यह किसानों की आय को दोगुना कर सकता है। उदाहरण के तौर पर, वैज्ञानिकों ने जूट, चावल (पैडी), और फ्लेक्स की फसल चक्र विकसित किया है, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसके अलावा, उन्होंने यह बताया कि जूट के उत्पादों की कीमत बढ़ाकर और इनकी गुणवत्ता सुधारकर भारतीय उद्योग को एक नई दिशा दी जा सकती है। —