मुजफ्फरनगर-गांधी कॉलोनी के सभासद और पूर्व सभासद के आपसी विवाद में जिले के दोनों मंत्री आमने-सामने आ गए, लेकिन बीती रात दोनों पक्षों ने आपस में ही बैठकर फैसला कर लिया और समाज के नाम पर दोनों मंत्रियों से राय लेना भी उचित नहीं समझा।
आपको बता दें कि निकाय चुनाव में गांधी कॉलोनी, जो भारतीय जनता पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है, उसमें निकाय चुनाव में दरार बन गई है। गांधी कॉलोनी में छाबड़ा परिवार का अपना एक वजूद रहा है और गांधी कॉलोनी के लक्ष्मी नारायण मंदिर, गोलक धाम मंदिर, बारातघर, गांधी कॉलोनी हाउसिंग सोसायटी समेत दो बार से सभासद के पद पर भी इसी परिवार का कब्जा चला आ रहा था।
ब्लड बैंक के आयोजन से सुर्खियों में आए समर्पित युवा के अध्यक्ष अमित पटपटिया ने इस बार नौजवानों की टीम के सहारे इनके खिलाफ मुहिम चलाई और निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से टिकट की मांग की। केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान अमित की पैरवी भी कर रहे थे, दूसरी तरफ प्रदेश के राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व सभासद प्रेमी छाबड़ा के पक्ष में अड़कर खड़े थे और कपिल देव अग्रवाल, प्रेमी छाबड़ा को टिकट दिलाने में सफल भी रहे।
डॉक्टर संजीव बालियान ने प्रेमी और अमित को बैठाकर मामला निपटाने की कोशिश की, समाज के जिम्मेदार लोगों को भी बीच में बैठाया, संघ और संगठन के नेताओं को भी लगाया लेकिन सभी नाकाम रहे और आखिर में दोनों के सीधे मुकाबले में अमित पटपटिया चुनाव जीत गए।
इस जीत के बाद गांधी कॉलोनी में भारतीय जनता पार्टी में दरार साफ साफ नजर आ रही है, जिसका परिणाम यह निकला कि प्रेमी छाबड़ा के बेटे ने प्रकाश चौक पर अमित पटपटिया के साले मिथुन कुमार भाटिया की ऑडी कार को तोड़ दिया।
यह जानकारी साले ने अमित पटपतिया को दी, उन्होंने तत्काल संजीव बालियान से संपर्क किया और संजीव बालियान ने पुलिस पर दबाव बनाया और बार-बार प्रेमी छाबड़ा के घर पुलिस की गाड़ी जानी शुरू हो गई, जिसके बाद कपिल देव अग्रवाल खुलकर प्रेमी की तरफ से आ गए और प्रेमी परिवार को बचाते रहे।
दोनों मंत्रियों के इसी टकराव के बीच गांधी कॉलोनी में पंजाबी समाज के नेता सक्रिय हुए और उन्होंने दोनों पक्षों को बैठाकर मामला निपटाने की प्रक्रिया शुरू की, पंजाबी समाज के यह नेता चुनाव से पहले भी दोनों को बैठाकर मामला निपटाने की कोशिश कर चुके थे, लेकिन तब विफल रहे थे।
गत रात्रि भारतीय जनता पार्टी के नेता सुखदर्शन सिंह बेदी की अध्यक्षता में पंजाबी समाज के कुछ लोगों की बैठक हुई जिसमें अशोक छाबड़ा, प्रवीण खेड़ा, बंटी छाबड़ा, जुगल खत्री, सतीश सेठी, ओमप्रकाश बजाज,सागर वत्स आदि ने दोनों पक्षों सभासद अमित पटपटिया और पूर्व सभासद प्रेमी छाबड़ा में समझौता करा दिया गया है। इस फैसले से प्रेमी पक्ष तो खुश हैं और उन्होंने अपने घर जाकर खुशियां मनानी शुरू कर दी, जिससे अमित पटपटिया पक्ष फिर खफा हो गया। अमित पटपटिया के साले मिथुन कुमार भाटिया ने बताया कि जो फैसला हुआ है, यह गलत हुआ है और मेरी बहन और अमित की पत्नी मणि पटपटिया भी इस फैसले को लेकर दुखी है। अमित पटपटिया की पत्नी मणि भी इस फैसले के तरीके से खुश नहीं है।
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इस पूरे प्रकरण में एक और दिलचस्प घटना यह हुई कि जिन सभासद और पूर्व सभासद के लिए दोनों भाजपा के मंत्री आमने-सामने आ गए, फैसले के वक्त पंजाबी समाज के जिम्मेदारों ने उन्हें कोई तवज्जो देना उचित नहीं समझा। पूर्व
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सभासद पवन अरोरा के मुताबिक, जब उन्होंने पंजाबी समाज के नेता सुखदर्शन सिंह बेदी से यह कहा कि यह फैसला केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान और मंत्री कपिल देव अग्रवाल की उपस्थिति में ही होना चाहिए, तभी ज्यादा प्रभावी होगा तो बेदी ने साफ-साफ इंकार कर दिया कि कि मंत्रियों की इसमें कोई जरूरत नहीं है, हमारे समाज का फैसला हम करेंगे, मंत्री नहीं।