सर्दियों में मसूर की खेती से किसानों की होगी बंपर कमाई पंत एल 406 किस्म ने बदली तकदीर

अगर आप किसान हैं और इस बार सर्दियों की कोई ऐसी फसल लगाना चाहते हैं जिससे कम खर्च में ज्यादा फायदा मिल सके तो मसूर की खेती आपके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है। मसूर की दाल की डिमांड हमेशा बाजार में बनी रहती है और खासकर सर्दियों के सीजन में इसकी खपत और भी ज्यादा हो जाती है। यही वजह है कि किसान भाई मसूर की खेती करके अपनी आमदनी को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं।
मसूर की पंत एल 406 किस्म क्यों है खास
खेत की तैयारी और बुवाई का सही समय
इस किस्म की खेती के लिए ठंडी जलवायु सबसे अच्छी रहती है। इसकी बुवाई का समय अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक माना जाता है। बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और उसके बाद हैरो चलाकर पाटा लगाकर खेत को समतल करना जरूरी है। मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद डालने से फसल की गुणवत्ता और भी बेहतर हो जाती है। साथ ही बुवाई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंदीनाशक से उपचारित करना चाहिए। इस किस्म की फसल लगभग 150 दिनों में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है।
उत्पादन और बाजार में मांग
मसूर की पंत एल 406 किस्म की उत्पादन क्षमता बहुत जबरदस्त होती है। एक एकड़ खेत में इसकी खेती करने से करीब 13 क्विंटल तक का उत्पादन आसानी से मिल जाता है। मसूर की दाल की बाजार में हमेशा अच्छी कीमत मिलती है। वर्तमान समय में मसूर दाल की औसत कीमत लगभग 4900 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर मसूर दाल (साबुत) का भाव 7983 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाता है। यानी किसान भाई इस किस्म की खेती से लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों अगर आप इस सर्दी में कोई ऐसी फसल लगाना चाहते हैं जिससे आपकी मेहनत रंग लाए और जेब भी भर जाए तो मसूर की पंत एल 406 किस्म आपके लिए शानदार विकल्प है। यह किस्म मजबूत भी है और बाजार में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है। सही समय पर बुवाई और थोड़ी सी देखभाल के साथ आप अपनी खेती से जबरदस्त कमाई कर सकते हैं।
Disclaimer: यह लेख केवल कृषि संबंधी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह जरूर लें ताकि आपकी मिट्टी और जलवायु के अनुसार आपको सही मार्गदर्शन मिल सके।