किसानों की पहली पसंद बन रही है सरसों की उन्नत किस्म, कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा और 40% तक तेल की जबरदस्त पैदावार

आप सबका स्वागत है। ठंडी हवाओं के साथ रबी सीजन की फसलें भी दस्तक दे चुकी हैं और इस मौसम में सरसों की खेती तो हर किसान भाई की पहली पसंद रहती है। आज हम आपको सरसों की एक ऐसी किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं जो न सिर्फ पारंपरिक किस्मों से बेहतर है बल्कि किसानों को कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा भी देती है। ये किस्म खास तौर पर इस तरह तैयार की गई है कि लवणीय मिट्टी में भी शानदार उत्पादन दे सके। यही वजह है कि धीरे-धीरे किसान इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।
सरसों की इस किस्म की खासियत
खेती का सही समय और तरीका
अक्टूबर का महीना इसकी बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए। साथ ही खेत में गोबर की पुरानी खाद डालने से फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है। इसकी खेती में बीज दर लगभग 4 से 6 किलो प्रति हेक्टेयर रहती है। कतार से कतार की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर रखना जरूरी है।
इस फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। लगभग 2 से 3 सिंचाई ही इसकी अच्छी बढ़वार और उत्पादन के लिए पर्याप्त रहती हैं। बुवाई के करीब 120 से 125 दिन बाद यह फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है और कटाई के लिए उपयुक्त हो जाती है।
जबरदस्त उत्पादन और मुनाफा
किसान भाई अगर इस किस्म की खेती करते हैं तो एक हेक्टेयर से करीब 27 से 28 क्विंटल तक उत्पादन आसानी से ले सकते हैं। यह उत्पादन मात्रा पारंपरिक किस्मों से काफी अधिक है। इतना ही नहीं, बाजार भाव और तेल की गुणवत्ता को देखते हुए किसान भाई एक हेक्टेयर से करीब 1.5 से 2 लाख रुपए तक की शानदार कमाई भी कर सकते हैं। यही वजह है कि सरसों की यह किस्म किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है। खेती शुरू करने से पहले किसान भाई स्थानीय कृषि विशेषज्ञों या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह अवश्य लें।