सितंबर में मिर्च की खेती से पाएं लाखों की कमाई , पूसा ज्वाला, पंजाब लाल और तेजस्विनी किस्मों से मिलेगा बंपर मुनाफा

खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए मिर्च की खेती हमेशा से ही मुनाफे का सौदा साबित हुई है। बरसात के मौसम में मिर्च की मांग और कीमत दोनों ही ज्यादा रहती हैं और यही वजह है कि सितंबर में मिर्च की बुवाई करना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इस समय बोई गई मिर्च की फसल कम मेहनत और खर्चे में ज्यादा उत्पादन देती है जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है। लेकिन यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मिर्च की अच्छी और उन्नत किस्म का चयन किया जाए क्योंकि ये किस्में रोग प्रतिरोधक होती हैं, भंडारण क्षमता अच्छी होती है और बाजार में उच्च दाम पर बिकती हैं।
पूसा ज्वाला किस्म
पंजाब लाल किस्म
हरी मिर्च की उन्नत प्रजातियों में पंजाब लाल किस्म किसानों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। यह बंपर पैदावार देने वाली प्रजाति है और इसकी मांग सालभर बनी रहती है। जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, इसकी फसल एकदम लाल रंग की होती है। इसकी खेती के लिए भी जल धारण क्षमता वाली मिट्टी उत्तम मानी जाती है। बीज बोने से पहले उपचारित करना जरूरी है ताकि रोगों से बचाव हो सके। सितंबर में बोई गई पंजाब लाल किस्म की पहली तुड़ाई लगभग ढाई महीने बाद हो जाती है। एक हेक्टेयर में इसकी खेती से किसान 100 से 120 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
तेजस्विनी किस्म
अगर किसान सितंबर में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो मिर्च की तेजस्विनी किस्म एक बेहतरीन विकल्प है। यह किस्म सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली मानी जाती है और इसकी लंबाई लगभग 9 से 10 सेंटीमीटर होती है। इसका उपयोग ज्यादातर फ्राई करके खाने में किया जाता है। यह किस्म हरी मिर्च उत्पादन के लिए सर्वोत्तम है और बुवाई के करीब 75 दिनों बाद फसल देना शुरू कर देती है। एक हेक्टेयर खेत में तेजस्विनी किस्म की खेती से किसान 220 से 250 क्विंटल तक उत्पादन पा सकते हैं। इसकी खेती से 5 से 6 लाख रुपये तक की कमाई संभव है।
सितंबरका महीना मिर्च की खेती के लिए बेहद खास होता है। अगर किसान भाई पूसा ज्वाला, पंजाब लाल और तेजस्विनी जैसी उन्नत किस्मों का चुनाव करें तो कम खर्चे में ज्यादा उत्पादन लेकर शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। यह खेती न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाती है बल्कि इसे एक स्थायी व्यवसाय की तरह भी अपनाया जा सकता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सिर्फ शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। किसान भाई अपनी स्थानीय जलवायु और मिट्टी की स्थिति को देखते हुए नजदीकी कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह अवश्य लें।