काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को मिला सरकारी कर्मचारी का दर्जा, वेतन में तीन गुना बढ़ोतरी

वाराणसी। उत्तर प्रदेश सरकार और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। गुरुवार को ट्रस्ट की 108वीं बैठक में पुजारियों व कर्मचारियों के लिए नए सेवा नियमों को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत उन्हें अब राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा प्राप्त होगा। साथ ही, उनके वेतन और सुविधाओं में भी बड़ा सुधार किया गया है।
शिक्षा और सुरक्षा को लेकर भी लिए गए अहम निर्णय
बैठक में मिर्जापुर के ककरही क्षेत्र में मंदिर की 46 बीघा भूमि पर वैदिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की भी मंजूरी दी गई। यह संस्थान पारंपरिक शिक्षा को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इसके अलावा, भक्तों की सुविधा के लिए काशी विश्वनाथ धाम से शक्तिपीठ विशालाक्षी मंदिर तक सीधा रास्ता बनाने के लिए भवनों की खरीद को भी मंजूरी दी गई है। सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए एक अत्याधुनिक कंट्रोल रूम और आधुनिक निगरानी कैमरे लगाने का फैसला भी किया गया है।
पुजारियों को मिलेगा सम्मान और समानता का लाभ
1983 में जब उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर का प्रशासन अपने अधीन लिया था, तब से लेकर अब तक पुजारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ था। अब उन्हें उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के समान सुविधाएं मिलेंगी, जैसे कि चिकित्सा, पेंशन और अन्य लाभ। यह निर्णय पुजारियों की लंबे समय से चली आ रही समानता और सम्मान की मांग की पूर्ति के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत के अधिकांश राज्यों में हिंदू पुजारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं प्राप्त है, केवल तेलंगाना राज्य इस मामले में एक अलग उदाहरण रहा है।
अन्य प्रस्तावों को भी मिली मंजूरी
बैठक में लड्डू प्रसाद और रुद्राक्ष माला वितरण के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं लागू करने को मंजूरी दी गई। साथ ही, 'संगम तीर्थ' जल विनिमय परियोजना के तहत सभी 12 ज्योतिर्लिंगों को आपस में जोड़ने की योजना को भी हरी झंडी मिल गई है।
दैनिक आगंतुकों के लिए पहचान पत्रों के नवीनीकरण की प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाएगी। दंडी संन्यासियों को पहले की तरह भोजन, प्रसाद और दक्षिणा मिलती रहेगी।