गेंदा फूल की खेती से होगी बंपर कमाई: जानिए कैसे करें सही रोपाई और पाएं त्योहारों में लाखों का मुनाफा


गेंदा फूल की खेती क्यों है खास

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गेंदा की बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा रहता है क्योंकि इस समय मौसम पौधों की वृद्धि और फूल आने के लिए अनुकूल होता है।
खेत की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन
गेंदा की खेती शुरू करने से पहले किसान भाइयों को खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी और पौधों की जड़ों के लिए उपयुक्त बन जाए। इसके बाद अंतिम जुताई के समय एक हेक्टेयर खेत में लगभग 300 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी चाहिए। इससे मिट्टी में प्राकृतिक पोषक तत्व बढ़ जाते हैं और पौधों की ग्रोथ तेजी से होती है।
साथ ही, रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग भी जरूरी है। रोपाई के समय मिट्टी में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम पोटाश और 80 किलोग्राम फास्फोरस मिलाना चाहिए। इससे पौधे मजबूत बनते हैं और फूलों की संख्या बढ़ जाती है।
गेंदा की पौध की रोपाई और सिंचाई
खेत की अच्छी तरह से तैयारी करने के बाद किसान भाई 5 से 6 सप्ताह पुरानी पौध की रोपाई करें। पौधों के बीच की दूरी लाइन से लाइन और पौधे से पौधे के बीच 45 सेंटीमीटर रखें ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें और फिर हर 15 से 20 दिन के अंतराल पर नियमित सिंचाई करते रहें। इससे पौधों को नमी मिलती रहेगी और फूलों की संख्या में वृद्धि होगी।
इसके अलावा निराई-गुड़ाई समय पर करते रहें ताकि खेत में खरपतवार न उग सके क्योंकि खरपतवार पौधों से पोषक तत्व छीन लेते हैं। नियमित देखभाल से गेंदा की फसल स्वस्थ और आकर्षक फूलों वाली बनती है जो बाजार में ऊंचे दामों पर बिकती है।
गेंदा की खेती से मुनाफा
जिला उद्यान अधिकारियों का कहना है कि अगर किसान सही किस्म चुनें और वैज्ञानिक तरीके से खेती करें तो गेंदा की फसल से कम समय में बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। गेंदा फूल की बाजार में हमेशा मांग रहती है इसलिए किसानों के लिए यह फसल स्थायी आय का स्रोत बन जाती है।
गेंदा की खेती न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी फायदेमंद है क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और खेत को कीट-मुक्त बनाती है।