दिसंबर जनवरी में खेत की मेढ़ पर फलदार पौधे लगाएं और बनाएं सालों तक चलने वाली स्थायी कमाई
दिसंबर जनवरी का ठंडा मौसम किसानों के लिए सिर्फ फसलों की देखभाल तक सीमित नहीं रहता बल्कि यही समय भविष्य की स्थायी आय की नींव रखने का सुनहरा मौका भी देता है। इस मौसम में खेत की मेढ़ बगिया और खाली पड़ी ज़मीन पर फलदार पौधे लगाकर किसान बिना ज्यादा खर्च और कम पानी में आने वाले वर्षों के लिए मजबूत कमाई का साधन तैयार कर सकते हैं। सर्दियों में मिट्टी में नमी बनी रहती है तापमान अनुकूल रहता है और पौधों को जमने का पूरा समय मिलता है जिससे उनका विकास बेहतर होता है।
क्यों दिसंबर जनवरी फलदार पौधों के लिए सबसे अच्छा समय है
खेत की मेढ़ और बगिया के लिए उपयुक्त फलदार पौधे
खेत की मेढ़ पर ऐसे पौधे सबसे ज्यादा लाभ देते हैं जो ज्यादा जगह नहीं घेरते और मुख्य फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते। अमरूद नींबू पपीता केला और आंवला इस लिहाज से बेहतरीन विकल्प माने जाते हैं। अमरूद और नींबू साल में कई बार फल देकर नियमित आमदनी का जरिया बनते हैं। पपीता और केला जल्दी फल देने वाले पौधे हैं जिससे रोपाई के थोड़े समय बाद ही नकद आय शुरू हो जाती है। आंवला लंबे समय तक चलने वाली फसल है जो वर्षों तक लगातार उत्पादन देकर स्थायी मुनाफा देती है।
सर्दियों में रोपाई के समय जरूरी देखभाल
सर्दियों में लगाए गए छोटे पौधों को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। महीने में दो से तीन बार हल्की सिंचाई पर्याप्त रहती है। रोपाई के समय गड्ढे में सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाने से पौधों को शुरुआती पोषण मिलता है। पाले से बचाव के लिए पौधों के चारों ओर सूखी घास या मल्चिंग करना फायदेमंद रहता है। ठंड के मौसम में भारी मात्रा में उर्वरक देने से बचना चाहिए और फरवरी के बाद संतुलित खाद का उपयोग शुरू करना बेहतर रहता है।
ग्राफ्टेड पौधों से जल्दी मिलेगा उत्पादन
अगर किसान नर्सरी से ग्राफ्टेड या कलमी पौधे लगाते हैं तो फल आने का समय काफी कम हो जाता है। ऐसे पौधे जल्दी बढ़ते हैं और उनकी गुणवत्ता भी बेहतर रहती है। नींबू और अमरूद जैसे पौधे ग्राफ्टेड होने पर कुछ ही वर्षों में फल देना शुरू कर देते हैं जबकि बीज से उगाए गए पौधों में काफी समय लग जाता है। आंवले में भी ग्राफ्टेड पौधे जल्दी उत्पादन शुरू कर देते हैं जिससे किसान को जल्दी लाभ मिलने लगता है।
मेढ़ आधारित फल खेती से कैसे बढ़ेगी आय
खेत की मेढ़ पर फलदार पौधे लगाना जोखिम कम करने का असरदार तरीका है। इससे बेकार पड़ी ज़मीन का सही उपयोग होता है और मुख्य फसल पर कोई असर नहीं पड़ता। सही प्रबंधन और देखभाल के साथ यह फलदार पौधे हर साल अतिरिक्त आमदनी देते हैं। लंबे समय में यह खेती किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है और खेती पर निर्भरता को और सुरक्षित करती है। थोड़ी सी समझदारी और सही योजना के साथ दिसंबर जनवरी में किया गया यह काम आने वाले वर्षों में बड़ा फायदा दे सकता है।
Disclaimer
यह लेख सामान्य कृषि जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। मौसम मिट्टी और क्षेत्र के अनुसार परिणाम अलग हो सकते हैं। किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
