आधुनिक तकनीक से आलू की खेती, पोटैटो प्लांटर मशीन से बढ़ेगी पैदावार और कम होगी मेहनत

किसान भाईयों के लिए आलू की खेती हमेशा से ही मुनाफे का सौदा रही है क्योंकि इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। लेकिन खेती-किसानी में सबसे बड़ी चुनौती होती है समय और मेहनत। खासकर आलू जैसी बड़ी पैदावार वाली फसल में अगर पारंपरिक तरीके से हाथ से बुवाई की जाए तो काफी समय और श्रम लगता है। लेकिन अगर किसान भाई आधुनिक तकनीक की तरफ कदम बढ़ाएं और पोटैटो प्लांटर मशीन का इस्तेमाल करें तो आलू की बुवाई न सिर्फ आसान हो जाती है बल्कि पैदावार भी दोगुनी तक बढ़ सकती है।
आलू की बुवाई का सही समय और तैयारी
दोस्तों आलू की खेती करने से पहले खेत की तैयारी बेहद जरूरी है। इसमें गहरी जुताई, खेत का समतलीकरण और खाद डालना शामिल है। जब खेत पूरी तरह तैयार हो जाए तब पोटैटो प्लांटर मशीन से आलू के बीज समान दूरी और गहराई पर बोए जाते हैं।
पोटैटो प्लांटर मशीन की खासियत
आज के समय में आलू की खेती का सबसे आधुनिक तरीका यही है। इस मशीन की खासियत यह है कि यह एक साथ खाद और बीज डालते हुए खेत में बुवाई करती है। एक मशीन मात्र एक घंटे में करीब एक एकड़ खेत की बुवाई पूरी कर सकती है। यानी जहां पहले कई मजदूर लगते थे और घंटों मेहनत करनी पड़ती थी वहीं अब यह काम बेहद आसान हो गया है। इससे समय की तो बचत होती ही है साथ ही श्रम लागत भी 50 से 60 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
अलग-अलग मॉडल और क्षमता
पोटैटो प्लांटर मशीन कई साइज और क्षमताओं में उपलब्ध है। बाजार में 2, 3 और 4 पंक्ति वाले मॉडल मिलते हैं जिनकी चौड़ाई 30 इंच से लेकर 2140 मिमी तक हो सकती है। यह मशीन 25 मिमी से लेकर 70 मिमी तक के आलू के बीज बोने में सक्षम है। यानी किसान भाई छोटे और बड़े दोनों तरह के आलू के बीज आसानी से बो सकते हैं।
किसानों के लिए फायदे का सौदा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक से आलू की खेती में गति और दक्षता दोनों बढ़ जाती हैं। बीज का नुकसान कम होता है और किसानों को अच्छी क्वालिटी की उपज मिलती है। यही कारण है कि यह मशीन धीरे-धीरे किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है। यह न सिर्फ मेहनत बचाने का तरीका है बल्कि किसानों के लिए दोगुना मुनाफा कमाने का जरिया भी है।
Disclaimer:यह आर्टिकल कृषि संबंधी सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी फसल की खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह अवश्य लें