अहोई अष्टमी: संतान की दीर्घायु का पर्व, मुजफ्फरनगर के बाजारों में खरीदारी का उत्साह
13 अक्टूबर को व्रत, बाजारों में उमड़ी भीड़; पूजा सामग्री, मिठाई और मिट्टी के बर्तनों की बढ़ी मांग

मुजफ्फरनगर: नवरात्र के उत्साह के बाद अब समूचे जनपद में अहोई अष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना से रखा जाने वाला यह व्रत इस वर्ष 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

पूजा सामग्री और नए ट्रेंड की खरीदारी
बाजारों में इस बार पारंपरिक और नए ट्रेंड का मेल देखने को मिला। दुकानदारों ने पूजा सामग्री, दीये, अहोई माता की तस्वीरें, नई साड़ियां और सजावट का सामान सजा रखा था।
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दुकानदार राजेश जैन ने बताया कि पिछले दो दिनों से अहोई माता की तस्वीरें, चुनरी और दीपदान के सामान की सबसे ज्यादा बिक्री हो रही है।
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नीता बंसल जैसी गृहणियों ने बताया कि इस बार बाजार में डिजिटल अहोई माता की फोटो फ्रेम और सुंदर थाली सेट जैसे सजावट के नए सामान खूब बिक रहे हैं।
खान-पान और विधि-विधान
मिठाई की दुकानों पर भी खरीदारों की भीड़ उमड़ी। दुकानदार पवन अग्रवाल के अनुसार, अहोई अष्टमी पर खासतौर से सोनपापड़ी, बर्फी और बूंदी लड्डू की मांग बढ़ गई है।
व्रत के विधि-विधान के बारे में जानकारी देते हुए महिला मिला देवी और रंजना देवी ने बताया कि इस दिन महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए सुबह सरगी खाने के बाद दिन भर व्रत रखती हैं। शाम को अहोई माता (मां पार्वती का स्वरूप) की पूजा की जाती है। पूजा में मिट्टी से बने दो पात्रों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें शुभ माना जाता है, जिनमें एक में जल और दूसरे में मिठाई रखी जाती है। शाम को कथा सुनने और रात में तारों के दर्शन करने के बाद व्रत खोला जाता है।
स्थानीय व्यापारियों ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि त्योहारों का यह मौसम ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों की अर्थव्यवस्था में नई जान डाल रहा है, जिससे बाजारों में फिर से रौनक लौट आई है। हर ओर श्रद्धा, उत्साह और उमंग का माहौल दिखाई दे रहा है।
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