कम कीमतों ने बिगाड़ी स्टील उद्योग की सेहत: 150 यूनिट्स पर ताला, सरकार के विस्तार मिशन पर मंडराया खतरा
India Steel Industry: भारत का स्टील क्षेत्र इस समय कमजोर कीमतों के कारण गहरी चुनौती से गुजर रहा है। इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने बताया कि मौजूदा कीमतें ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स और कच्चे माल की लागत की तुलना में बेहद कम हैं, जिसके चलते छोटे स्टील उत्पादक गंभीर दबाव में हैं। उन्होंने कहा कि पाँच साल पहले स्टील की कीमतें जरूरत से ज्यादा थीं, जबकि आज ये जरूरत के स्तर से भी नीचे हैं, जिससे मार्केट का संतुलन बिगड़ गया है।
150 छोटे स्टील उत्पादकों ने उत्पादन बंद किया
सरकार के 100 मिलियन टन विस्तार लक्ष्य पर भी संकट के बादल
भारत सरकार आने वाले वर्षों में स्टील सेक्टर की क्षमता में 100 मिलियन टन की बढ़ोतरी का लक्ष्य लेकर चल रही है, लेकिन मौजूदा कीमतों की गिरावट और कंपनियों के मुनाफे में भारी कमी के कारण यह लक्ष्य जोखिम में नजर आने लगा है। पौंड्रिक का कहना है कि दूसरी तिमाही के नतीजे साफ दिखाते हैं कि अधिकांश कंपनियों के मुनाफे में गिरावट दर्ज हुई है, जिससे आगे निवेश की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
वैश्विक अधिशेष उत्पादन से और बढ़ीं मुश्किलें
सचिव ने बताया कि विश्वभर में, विशेषकर चीन में, स्टील का अधिशेष उत्पादन गंभीर समस्या है। यह अधिशेष अक्सर सस्ते स्टील के रूप में अन्य देशों में डंप किया जाता है, जिससे स्थानीय उद्योग को नुकसान झेलना पड़ता है। भारत भी इस चुनौती से अछूता नहीं है। अधिक आपूर्ति और कम कीमतों के कारण देश के उत्पादकों पर सीधा आर्थिक दबाव बढ़ रहा है।
घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए सरकार ने उठाए कदम
पौंड्रिक ने बताया कि सरकार ने घरेलू स्टील उद्योग को राहत देने के लिए अस्थायी सुरक्षा शुल्क लगाया है, जिसका उद्देश्य आयातित स्टील के सस्ते दामों के प्रभाव से भारतीय कंपनियों को बचाना है। उन्होंने यह भी कहा कि स्टील की घरेलू खपत लगातार बढ़ रही है, और इसी मांग को पूरा करने के लिए पिछले दस वर्षों में क्षमता बढ़ाने के प्रयास जारी रहे हैं।
रणनीतिक क्षेत्र होने के कारण स्टील इंडस्ट्री को समर्थन जरूरी
सचिव ने स्पष्ट कहा कि स्टील भारत के लिए केवल औद्योगिक उत्पाद नहीं, बल्कि एक रणनीतिक क्षेत्र है। यदि देश आयात पर निर्भर हो जाता है, तो वैश्विक भू-राजनीतिक स्थितियों के कारण भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए स्टील उत्पादन का घरेलू ढांचा मजबूत करना और इसे सुरक्षित रखना राष्ट्रीय हित से जुड़ा हुआ है।
स्टील इंडस्ट्री पर 3–4 कंपनियों के प्रभुत्व की धारणाएँ गलत
अक्सर यह कहा जाता है कि स्टील क्षेत्र पर कुछ बड़ी कंपनियों का ही वर्चस्व है, लेकिन पौंड्रिक ने इस धारणा को पूरी तरह गलत बताया। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 47% स्टील उत्पादन 2,200 मध्यम स्तर की कंपनियों द्वारा किया जाता है। इसका मतलब यह है कि यह उद्योग काफी विविध और व्यापक है, जहां हजारों यूनिट्स योगदान देती हैं।
