सिकंदरा में 'फ्रेंडली फाइट' का नया ड्रामा: राजद और कांग्रेस आमने-सामने, महागठबंधन में बढ़ी दरार



टिकट बंटवारे से शुरू हुआ विवाद
सिकंदरा विधानसभा सीट पर महागठबंधन के भीतर तालमेल की कमी अब खुलकर सामने आ चुकी है। टिकट बंटवारे को लेकर शुरू हुआ विवाद अब इस मोड़ पर पहुंचा कि कांग्रेस और राजद दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव महागठबंधन के समग्र चुनावी समीकरण को कमजोर कर सकता है और एनडीए को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है।
बनी नई सियासी कहानी
गुरुवार को नामांकन वापसी की अंतिम तारीख थी, लेकिन न कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार हटाया, न ही राजद ने। कांग्रेस की परंपरागत दावेदारी की अनदेखी करते हुए राजद ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी को मैदान में उतार दिया।
वहीं, कांग्रेस ने भी झुकने से इनकार कर दिया और अपने प्रत्याशी विनोद चौधरी को चुनावी रण में बनाए रखा। इस तरह दोनों पार्टियां अब एक-दूसरे के खिलाफ ‘फ्रेंडली फाइट’ लड़ रही हैं, जो गठबंधन की एकता पर सवाल उठाती है।
कमजोर हुआ गठबंधन का तालमेल
राजद और कांग्रेस के बीच यह सीधा टकराव केवल सिकंदरा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संकेत देता है कि महागठबंधन के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है। कांग्रेस की नाराजगी और राजद का आत्मविश्वास दोनों ही एक नई सियासी कहानी गढ़ रहे हैं। इस सीट पर अब हर वोट की अहमियत बढ़ गई है, क्योंकि जनता भी देखना चाहती है कि गठबंधन के भीतर ‘दोस्ती’ किस हद तक टिकती है।
झाझा और जमुई में भी गर्मी बढ़ी
जिले के चकाई और सिकंदरा विधानसभा क्षेत्रों में दिलचस्प मुकाबला तय है। वहीं, जमुई और झाझा सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना जताई जा रही है।
हालांकि, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि मुख्य लड़ाई राजद-कांग्रेस की आंतरिक खींचतान और एनडीए के मजबूत जनाधार के बीच सिमट जाएगी।
बड़ी हस्तियों का मैदान में उतरना तय
जमुई में पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री श्रेयसी सिंह, झाझा में जयप्रकाश नारायण यादव तथा दामोदर रावत मैदान में हैं। वहीं, चकाई में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत की परीक्षा होगी। सिकंदरा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी के सामने यह चुनाव उनकी राजनीतिक पकड़ और जनता में पैठ की बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है।
महागठबंधन के लिए चेतावनी की घंटी
राजद और कांग्रेस की यह टक्कर महागठबंधन के भीतर दरार को और गहरा कर सकती है। ऐसे में विपक्षी एकता की रणनीति कमजोर पड़ने का खतरा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर यह दरार समय रहते नहीं भरी गई, तो आने वाले चुनावों में इसका असर पूरे प्रदेश की राजनीति पर देखने को मिलेगा।