नोटबंदी के बाद सील रहे लॉकर से मिले 15.50 लाख के पुराने नोट - राजस्थान हाईकोर्ट ने RBI और केंद्र सरकार से मांगा जवाब

उत्तराधिकार विवाद के कारण वर्षों तक सील रहा लॉकर

याचिकाकर्ता का तर्क - न्यायिक प्रक्रिया के कारण नुकसान क्यों?
रणवीर सिंह की ओर से अधिवक्ता विपुल सिंघवी ने अदालत में दलील दी कि नोटबंदी के दौरान याचिकाकर्ता के पास लॉकर तक पहुंचने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं था, क्योंकि मामला न्यायालय में लंबित था। इस कारण मुद्रा का विनिमय व्यावहारिक रूप से असंभव था। अधिवक्ता ने कहा कि राहत न देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300-ए (संपत्ति से वंचन का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि “किसी व्यक्ति को अदालत की प्रक्रिया के कारण नुकसान नहीं उठाना चाहिए,” क्योंकि यह न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
अतिरिक्त लाभ नहीं
याचिकाकर्ता ने अदालत से यह अनुरोध किया है कि वह किसी अतिरिक्त लाभ की मांग नहीं कर रहा, बल्कि केवल न्यायसंगत राहत चाहता है - या तो पुरानी मुद्रा की वैधता को मान्यता दी जाए या उसे उसके नुकसान की क्षतिपूर्ति प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल व्यक्तिगत न्याय का, बल्कि नागरिक अधिकारों और न्यायिक जिम्मेदारी का भी प्रश्न है।
हाईकोर्ट ने माना - संवैधानिक दृष्टि से विचारणीय मामला
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने इस मामले को “संवैधानिक और न्यायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण” मानते हुए विचारणीय करार दिया। अदालत ने केंद्र सरकार, RBI और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामला केवल मुद्रा का नहीं, बल्कि नागरिक के संपत्ति अधिकार और न्याय प्रक्रिया की निष्पक्षता से भी जुड़ा है।
