हरियाणा पुलिस में ‘संवेदना क्रांति’: DGP ओपी सिंह की पहल से थाने बनेंगे सहयोग केंद्र, बदलेंगे जनता-पुलिस संबंधों के मायने


थाने अब बनेंगे ‘जनता के घर

उन्होंने टेबल का आकार छोटा करने और कुर्सी से सफेद तौलिया हटाने जैसे छोटे लेकिन गहरे संदेश दिए - ताकि पुलिस और जनता के बीच की दीवार टूट सके और विश्वास की नई दीवार खड़ी हो सके।
थानों में होगी साहित्य की खुशबू
DGP सिंह ने प्रस्ताव दिया कि हर थाने या बड़े पुलिस कार्यालय में एक “आगंतुक कक्ष (Visitors Room)” बनाया जाए, जहां प्रेमचंद, दिनकर, रेणु जैसे साहित्यकारों की किताबें रखी जाएं। यहां एक प्रशिक्षित पुलिसकर्मी तैनात हो, जो आने वालों से विनम्रता से बात करे और उन्हें सहज महसूस कराए।
उन्होंने कहा कि पुलिस दफ्तरों का माहौल ऐसा हो, जहां डर नहीं बल्कि भरोसा महसूस हो।
पुलिसिंग अब बनेगी एक कला
ओपी सिंह का मानना है कि पुलिसिंग एक “फाइन आर्ट” है - इसमें दफ्तर का माहौल, पुलिसकर्मी का व्यवहार और सोच सब शामिल है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे औपचारिकता और अहंकार के प्रतीकों को खत्म करें। “थाने पावर सेंटर नहीं, सहयोग केंद्र बनें- यही उनका मूल संदेश है।
छात्र बनेंगे पुलिस के सहयोगी
ओपी सिंह ने एक अनूठी योजना सुझाई है, जिसके तहत DAV पुलिस पब्लिक स्कूल के इच्छुक छात्रों को “स्टीवर्ड प्रशिक्षण” दिया जाएगा। ये छात्र थानों में आगंतुकों का स्वागत करेंगे, उन्हें मार्गदर्शन देंगे और थानों का माहौल सौहार्दपूर्ण बनाएंगे। इससे न केवल जनता को सुविधा मिलेगी, बल्कि छात्रों में संवेदनशीलता और संवाद-कौशल का विकास होगा।
व्यवस्थित और स्वागतयोग्य माहौल
ओपी सिंह ने कहा कि थाने का वातावरण मेट्रो स्टेशन जैसा होना चाहिए - साफ-सुथरा, व्यवस्थित और सहज। उन्होंने निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता से बातचीत के समय मोबाइल फोन दूर रखें, उसकी बात ध्यान से सुनें और संवेदनशीलता के साथ प्रतिक्रिया दें।
तीन दिन में कार्रवाई
डीजीपी ने आदेश दिया कि हर पुलिसकर्मी शिकायत मिलने के एक सप्ताह में कम से कम तीन में से एक कार्रवाई अवश्य करे -
- अगर मामला बनता है, तो मुकदमा दर्ज करें।
- अगर सिविल नेचर का हो, तो CM विंडो पर दर्ज कराएं।
- अगर शिकायत झूठी हो, तो रोजनामचे में रिपोर्ट दर्ज कर चेतावनी जारी करें।
- उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि जो अधिकारी लापरवाही बरतेगा, उसकी जवाबदेही तय होगी।
DGP सिंह का अंतिम संदेश
ओपी सिंह ने पुलिसकर्मियों को याद दिलाया कि वे “एक ऐसे तार हैं, जिसमें करंट दौड़ रहा है।”
यह करंट जनता के जीवन में रोशनी भरने का होना चाहिए, न कि डर का। उन्होंने कहा — “झटका उसी को दो जो जनता का खून चूसते हैं, बाकी सबको विश्वास दो।”
उनकी यह सोच हरियाणा पुलिस के चेहरे को संवेदनशीलता और मानवीयता की नई दिशा दे सकती है।
यह पहल क्यों खास है
- थानों को “सहयोग केंद्र” के रूप में बदलने की पहल
- जनता के साथ व्यवहार सुधार पर जोर
- थानों में साहित्य और सौहार्द का माहौल
- छात्रों की भागीदारी से पुलिस-जन सहयोग को बढ़ावा
- त्वरित कार्रवाई और जवाबदेही पर फोकस