हरियाणा के 2808 निजी स्कूलों पर संकट-एमआईएस पोर्टल बंद, लाखों बच्चों की पढ़ाई पर मंडराया खतरा


सरकार से भिड़े निजी स्कूल

ब्याज से भारी जुर्माना
शिक्षा निदेशालय ने उन 1680 स्कूलों पर कार्रवाई की है जिन्होंने रिक्त सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं की। इन स्कूलों की फीस की श्रेणी के अनुसार जुर्माने की दरें तय की गई हैं—एक हजार रुपये तक फीस वाले स्कूलों पर 30,000 रुपये, तीन हजार तक वालों पर 70,000 रुपये, और छह हजार तक फीस वाले स्कूलों पर एक लाख रुपये तक जुर्माना ठोका गया है। जिन स्कूलों की फीस छह हजार रुपये से अधिक है, उनकी सूची प्रमाणपत्रों सहित मांगी गई है ताकि उन्हें उच्च स्तर पर व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया जा सके।
मान्यता रद्द या बकाया स्कूलों पर भी सख्ती-छोटे संस्थानों में डर का माहौल
राज्य के 1128 स्कूल ऐसे हैं जिन्हें विभिन्न कारणों से डीईईओ द्वारा अस्वीकृति दी गई है। इनमें भी राजदंड का सिलसिला जारी है। एक हजार रुपये तक फीस वाले स्कूलों पर 5000 रुपये, दो हजार तक वाले स्कूलों पर 10,000 रुपये और तीन हजार तक वाले स्कूलों पर 15,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। शिक्षा विभाग ने शेष स्कूलों की सूची प्रमाणपत्रों सहित मांगी है ताकि मौलिक शिक्षा महानिदेशक उन्हें सुनवाई का अवसर दे सकें।
स्कूलों का आरोप-पोर्टल बंद होने से न दाखिला संभव
सत्यवान कुंडू ने कहा कि एमआईएस पोर्टल महीनों से बंद होने के कारण स्कूल अपनी जानकारी ऑनलाइन नहीं डाल पा रहे हैं। बहुत से संस्थानों ने आरटीई के तहत सीटें पहले ही दर्ज की थीं, लेकिन तकनीकी कारणों तथा प्रशासनिक लापरवाही से वे अपडेट नहीं हो सकीं। जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने भी समय रहते स्कूलों को सूचित नहीं किया, जिससे डेटा सबमिशन में देरी हुई। कुंडू ने निदेशालय से अपील की है कि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए एमआईएस पोर्टल तुरंत खोला जाए।
बस नीति में न्याय चाहिए
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि बजट स्कूल कभी गरीब बच्चों की शिक्षा के विरोधी नहीं रहे, बल्कि हमेशा सरकारी नीतियों के साथ खड़े रहे हैं। इसका उदाहरण “चिराग योजना” है, जिसमें इन स्कूलों ने हजारों बच्चों को दाखिला देकर उल्लेखनीय योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि दंडात्मक कार्रवाई केवल उन्हीं संस्थानों पर होनी चाहिए जिन्होंने जानबूझकर गरीब बच्चों को सीट देने से मना किया है, जबकि तकनीकी कारणों से सीटें दर्ज न कर पाने वाले स्कूलों को राहत दी जाए।
वित्तीय संकट में स्कूल
कुलभूषण शर्मा ने यह भी कहा कि बजट स्कूल पहले से ही कोविड काल के आर्थिक झटके से बाहर नहीं निकल पाए हैं। अभिभावक फीस समय पर नहीं दे पा रहे, ऐसे में लाखों रुपये के जुर्माने लगाना “गला घोंटने जैसा” है। इससे स्कूल अपने शिक्षकों को वेतन नहीं दे पाएंगे और शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। उन्होंने सरकार से अपील की कि त्योहारों के मौसम में राहत देते हुए जुर्माना माफ किया जाए और एमआईएस पोर्टल को तुरंत कार्यशील किया जाए ताकि बच्चों के दाखिले निर्बाध चल सकें।
समाधान की मांग तेज
हरियाणा में शिक्षा का यह टकराव अब राज्यव्यापी विवाद का रूप लेता जा रहा है। जहां एक ओर सरकार अपनी सख्त नीति के समर्थन में दलील दे रही है, वहीं शिक्षण संस्थान इसे प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते समाधान नहीं निकला, तो यह विवाद आने वाले शैक्षणिक सत्र में लाखों विद्यार्थियों के भविष्य पर गहरा असर डाल सकता है।