Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां ने दिवाली के अवसर पर अपने दिल का दर्द शब्दों में बयां किया। उन्होंने कहा, “दीये जलते नहीं, बल्कि रोशन किए जाते हैं। उनका असली मकसद उजाला देना और नफरत मिटाना होता है।” मीडिया से बातचीत के दौरान आजम खां ने कहा कि जो लोग दीये जलाते हैं, वे कुछ भी जला सकते हैं, जबकि जो उन्हें रोशन करते हैं, वे सच्चे अर्थों में समाज में रौशनी और ठंडक फैलाते हैं।
जो लोग मिल रहे हैं, उन्हें पता है मेरे साथ गलत हुआ है
आजम खां ने कहा कि वह काफी समय से घर से बाहर नहीं निकले हैं, फिर भी उनसे मिलने के लिए लगातार लोग आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग उनसे मुलाकात कर रहे हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने कहा, “जो लोग मुझसे मिलने आते हैं, वे खुद महसूस करते हैं कि मेरे साथ गलत हुआ है। उनकी हमदर्दी मेरे लिए किसी दवा से कम नहीं।”
हमदर्दी बन गई मरहम, लोगों की अकीदत ने दिल छू लिया
भावुक होते हुए आजम खां ने कहा कि जो लोग उनसे मिलने आते हैं, वे इस बार पहले से कहीं ज्यादा सच्ची अकीदत और ईमानदारी से मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हमदर्दी और मोहब्बत उनके लिए बहुत मायने रखती है। “यह लोग पहली बार इतनी सच्ची भावना से मिले हैं। मैं समझता हूं कि इसके पीछे मेरी लंबी कुर्बानियों की पहचान छिपी है। मैं खुद एक भुक्तभोगी हूं, और जो लोग यह महसूस करते हैं, वे मेरे दर्द को अपना दर्द मान रहे हैं,” उन्होंने कहा।
नफरत नहीं, रोशनी फैलाना ही असली मकसद
आजम खां ने कहा कि दीया सिर्फ रोशनी का प्रतीक नहीं, बल्कि सच्चाई और इंसानियत का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा, “जो दीये रोशन करते हैं, वे समाज में ठंडक और सुकून लाते हैं। नफरत मिटाना ही असली रोशनी है।” उन्होंने अपनी बात खत्म करते हुए कहा कि जब तक समाज में यह सोच कायम रहेगी, तब तक इंसानियत की लौ कभी बुझ नहीं सकती।