'लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने', पुलिस स्मृति दिवस पर मुजफ्फरनगर में शहीद जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि



कर्तव्य पथ पर जोखिम भरा जीवन:
कार्यक्रम में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि जनसेवा का उच्च आदर्श हृदय में लिए अनेकों पुलिसकर्मी प्रतिवर्ष कर्तव्य पथ का अनुसरण करते हुए वीरगति को प्राप्त होते हैं। पुलिसकर्मियों के कार्य की प्रकृति ऐसी है कि इसमें कदम-कदम पर जोखिम व जीवन का भय बना रहता है, जिसके कारण बड़ी संख्या में जवान प्रतिवर्ष राष्ट्र की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान देते हैं।
21 अक्टूबर का इतिहास:
पुलिस स्मृति दिवस का इतिहास 63 वर्ष पुराना है। यह दिवस 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट-स्प्रिंग के पास हुए एक भीषण चीनी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 10 जवानों की शहादत की याद में मनाया जाता है। उस दिन, गश्त पर निकले सीआरपीएफ दल पर घात लगाकर बैठे चीनी सैनिकों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी की थी। भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन 10 जवान शहीद हो गए और सात घायल हुए थे। उन्हीं वीर जवानों की शहादत को याद करते हुए हर वर्ष 21 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है।
अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि:
इसी क्रम में मंगलवार को पुलिस लाइन स्थित शहीद स्मारक पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा, पुलिस अधीक्षक नगर सत्यनारायण प्रजापत, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण आदित्य बंसल, पुलिस अधीक्षक अपराध इंदु सिद्धार्थ, पुलिस अधीक्षक यातायात अतुल कुमार, सहायक पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी नगर सिद्धार्थ मिश्रा समेत समस्त क्षेत्राधिकारियों, प्रतिसार निरीक्षक और उपस्थित सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के संदेश को पढ़कर सुनाया और विगत एक वर्ष में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए शहीद हुए पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को याद किया।
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