पश्चिम चंपारण में NDA के गढ़ पर जदयू की सेंधमारी, तीन सीटों पर दावा करने से बढ़ा राजनीतिक तनाव

Bihar News: पश्चिम चंपारण जिला 1990 से एनडीए का गढ़ रहा है। 1990 के विधानसभा चुनाव के बाद यह जिला बिहार में NDA के मजबूत क्षेत्र के रूप में जाना गया। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल और भाजपा का गठबंधन हुआ था। उस समय जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों में चार सीटें एनडीए के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। बगहा, रामनगर, बेतिया, चनपटिया और नौतन क्षेत्र के प्रत्याशियों ने क्रमशः जीत दर्ज की थी।
2005 के बाद NDA की मजबूती
जदयू की दावेदारी और राजनीतिक तनाव
हाल ही में जदयू ने रामनगर, चनपटिया और नौतन सीटों पर अतिरिक्त दावेदारी की है। इस कदम से राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ सकता है। पश्चिम चंपारण में बागियों ने पहले भी एनडीए की राह में बाधाएं खड़ी की हैं। उदाहरण के लिए, 2020 के विधानसभा चुनाव में सिकटा सीट पर जदयू के खुर्शीद फिरोज अहमद उम्मीदवार थे, लेकिन भाजपा के बागी दिलीप वर्मा और भाकपा माले के वीरेंद्र गुप्ता ने चुनाव परिणाम प्रभावित किया।
विकास एजेंडा और लोकसभा चुनाव 2024
वर्तमान में एनडीए के कार्यकर्ता बदलते बिहार और विकास के एजेंडे के साथ जनता के बीच सक्रिय हैं। वहीं, आईएनडीआई गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव के एजेंडे के साथ मैदान में है। 'मिनी चंबल' के रूप में विख्यात जिले में स्थानीय लोग फिर से राजनीतिक अस्थिरता का डर महसूस कर रहे हैं, और एनडीए के कार्यकर्ता इस डर का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं।
भविष्य की रणनीति और संभावनाएं
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जदयू की दावेदारी और बागियों की भूमिका आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण कारक बन सकती है। एनडीए के लिए चुनौती यह होगी कि वे अपने गढ़ की मजबूत पकड़ बनाए रखें और बागियों तथा नई राजनीतिक दावेदारों के प्रभाव को कम करें।