मुख्यमंत्री मोहन यादव बने ‘सीएम भाई’: भाई दूज पर बहनों से भावनात्मक जुड़ाव, अब हर लाड़ली को मिलेगा ₹1500 प्रतिमाह


लाड़ली बहना योजना का नया अध्याय - अब हर माह ₹1500

“बहनों के आशीर्वाद से ही हम निडर होकर जनता की सेवा कर पा रहे हैं,” उन्होंने कहा। डॉ. यादव ने कहा कि बहनें परिवार की आधारशिला हैं, जो हर संकट में चट्टान की तरह खड़ी रहती हैं। सनातन संस्कृति में बहनों को ‘जगदंबा’ और ‘लक्ष्मी’ का रूप माना गया है, और सरकार उनका सम्मान बढ़ाने के लिए सतत प्रयासरत है।
2029 में दिखेगी लाड़ली बहनों की राजनीतिक शक्ति
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भरोसा जताया कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव 2029 में लाड़ली बहनों की भागीदारी और प्रभाव और भी बढ़ेगा। उन्होंने रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई और रानी अवंतिका बाई जैसी वीरांगनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि “महिलाओं का साहस ही देश की पहचान है।”
उन्होंने कहा कि आज उन्हें गर्व है कि 1 करोड़ 26 लाख बहनें उन्हें भाई के रूप में मानती हैं। उन्होंने वादा किया कि बहनों की खुशहाली और सशक्तिकरण के लिए सरकार के खजाने में कभी कोई कमी नहीं रहेगी।
आर्थिक संबल से आत्मनिर्भरता की ओर बहनें
मुख्यमंत्री ने बहनों को ₹250 की विशेष शगुन राशि भेंट करते हुए कहा कि यह केवल प्रतीक नहीं, बल्कि समृद्धि की शुरुआत है। उन्होंने बताया कि सरकार ने रोजगार नीति के तहत उद्योग में कार्यरत बहनों को ₹5000 अतिरिक्त सहायता देने का निर्णय लिया है।
यदि कोई बहन अपना उद्योग शुरू करती है तो उसे 2% ब्याज की छूट दी जाएगी और रजिस्ट्री में भी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब तक 29 किस्तों में ₹45,000 करोड़ की राशि लाड़ली बहनों को वितरित की जा चुकी है।
बहनों की समृद्धि पच नहीं रही
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस बहनों की समृद्धि को पचा नहीं पा रही। वे कहते हैं कि बहनों को पैसे देने से वे दारू पीती हैं। यह किसी भारतीय की सोच नहीं हो सकती।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को याद रखना चाहिए कि ‘ईश्वर सबका हिसाब करता है।’ मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व में बहनों को निशुल्क आवास और आर्थिक सशक्तिकरण मिला है।
मजबूरी नहीं, मजबूती का जीवन
पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि आज मुख्यमंत्री निवास सचमुच बहनों का ‘मायका’ बन गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह संकल्प लिया है कि अब बहनें मजबूरी नहीं, मजबूती का जीवन जिएंगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि लाड़ली बहना योजना से ग्रामीण इलाकों की महिलाएं अब स्वयं का व्यवसाय चला रही हैं और बच्चों की स्कूल फीस तक भर रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव हमेशा बहनों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई योजनाओं पर कार्यरत रहते हैं।
लाड़ली बहनें बनीं उद्यमिता की मिसाल
कार्यक्रम में कई बहनों ने अपने अनुभव साझा किए। पिंकी जैन ने बताया कि उन्हें योजना से मिली सहायता से उन्होंने पापड़ बनाने की मशीन खरीदी और अब आत्मनिर्भर हैं। वहीं संगीता और रोहिणी ने बताया कि अब हर माह ₹1500 की राशि से वे अपने छोटे-छोटे व्यवसाय चला पा रही हैं।
उन्होंने कहा, “भाई दूज पर यह सबसे बड़ा उपहार है कि हमें एक ऐसा भाई मिला है जो हर कठिन समय में हमारे साथ खड़ा है।”