एमपी की 108 एंबुलेंस सेवा में मचा फर्जी कॉल्स का हाहाकार: मजे और ब्रेकअप की बातें बन रहीं जिंदगी के लिए खतरा
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में संचालित जीवनरक्षक 108 एंबुलेंस सेवा इन दिनों फर्जी कॉल्स की मार झेल रही है। बीते छह महीनों में इस हेल्पलाइन पर 5.72 लाख से अधिक झूठी कॉल्स आई हैं। कोई सिर्फ मज़े के लिए फोन करता है तो कोई अपने ब्रेकअप का दर्द सुनाने के लिए कॉल लाइन पकड़ लेता है। इन शरारती हरकतों से असली मरीजों की सहायता में गंभीर देरी हो रही है, जिससे कई बार जान पर भी बन आती है।
कॉल सेंटर स्टाफ परेशान
अब फर्जी कॉलर्स पर गिरेगा कानूनी डंडा
सेवा संचालित करने वाली एजेंसी जय अंबे हेल्थकेयर ने अब ऐसे कॉलर्स पर सख्त कार्रवाई का फैसला लिया है। एजेंसी के सीनियर मैनेजर तरुण सिंह परिहार ने बताया कि अब फर्जी कॉल करने वालों के खिलाफ सीधे FIR दर्ज की जाएगी। उन्होंने कहा, “जो लोग जानबूझकर 108 पर मजाक या गलत जानकारी देते हैं, वे किसी गंभीर मरीज की मदद में बाधा डालते हैं – इसलिए अब इन्हें बख्शा नहीं जाएगा।”
बर्बाद हो रहा समय और ईंधन
एक ताजा उदाहरण भोपाल के कोलार रोड क्षेत्र का है, जहां एक व्यक्ति ने तबीयत खराब होने की शिकायत की। मात्र 15 मिनट में एंबुलेंस उसकी बताई लोकेशन पर पहुंच गई, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। जब कॉल बैक किया गया, तो उसने कहा कि अब जरूरत नहीं है। इस तरह की घटनाएं रोज सामने आ रही हैं, जिससे एंबुलेंस का कीमती समय और ईंधन दोनों व्यर्थ जा रहे हैं।
कॉलर्स की पहचान के लिए शुरू हुई विशेष स्टडी
कॉल सेंटर ने ऐसे नंबरों की लिस्ट तैयार की है जो 150 से 200 बार तक फर्जी कॉल्स कर चुके हैं। अधिकतर कॉलर नशे में धुत युवक या बच्चे हैं, जो कई बार महिला ऑपरेटर्स से अभद्र बातें भी करते हैं। अब एजेंसी ने ऐसे नंबरों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई के लिए एक विशेष स्टडी शुरू की है ताकि दोबारा ऐसे कॉल्स न हों।
फर्जी कॉल्स से रुकती मदद
इन झूठी कॉल्स की वजह से कॉल सेंटर की लाइनें बार-बार ब्लॉक हो जाती हैं। ऐसे में कोई गंभीर मरीज कॉल करता है तो उसकी कॉल कनेक्ट नहीं हो पाती। कई बार एंबुलेंस को 50-60 किलोमीटर तक खाली दौड़ना पड़ता है, जिससे वास्तविक मरीजों तक पहुंचने में देर होती है। यह स्थिति न केवल परेशान करने वाली है, बल्कि जीवन-मृत्यु के बीच का फर्क भी तय कर सकती है।
किसी की जिंदगी पर भारी
तरुण सिंह परिहार ने कहा, “एक फर्जी कॉल किसी जरूरतमंद की जान पर भारी पड़ सकती है। जब तक एंबुलेंस लौटती है, तब तक कोई और मरीज संकट में होता है।” यह चेतावनी बताती है कि लापरवाही या मजाक के नाम पर की गई एक कॉल किसी के लिए घातक साबित हो सकती है।
