सृष्टि के संचालन में जन्म और मृत्यु का क्रम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, जैसे रेलगाड़ी की सुचारू व्यवस्था के लिए आवश्यक है कि नई सवारी चढ़ती रहे और बैठी हुई सवारी अपने गंतव्य पर उतरे, ठीक उसी प्रकार जीवन और मृत्यु का स्वाभाविक प्रवाह सृष्टि के संतुलन के लिए जरूरी है।
यदि रेलगाड़ी में नई सवारी नहीं चढ़े या बैठी सवारी नहीं उतरे तो न केवल रेलगाड़ी का संचालन प्रभावित होगा, बल्कि उसका उद्देश्य भी समाप्त हो जाएगा। इसी तरह, यदि जन्म और मृत्यु का क्रम रुक जाए तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि केवल जन्म होता रहे और मृत्यु का क्रम बंद हो जाए तो इतनी जनसंख्या बढ़ जाएगी कि पृथ्वी पर रहने का स्थान भी समाप्त हो जाएगा। दूसरी ओर, यदि मृत्यु होती रहे लेकिन नए जीवन का जन्म न हो तो संसार शमशान भूमि में बदल जाएगा।
जन्म और मृत्यु दोनों का नियमित क्रम ही जीवन और सृष्टि की सुन्दरता बनाए रखता है। यह प्राकृतिक प्रवाह न केवल जीवन की निरंतरता सुनिश्चित करता है, बल्कि पृथ्वी पर संतुलन और स्थिरता बनाए रखने में भी मदद करता है। विशेषज्ञों ने आमजन से अपील की है कि वे इस प्राकृतिक क्रम के महत्व को समझें और इसे बनाए रखने में योगदान दें।