स्वयं को समझना सबसे कठिन काम है। अपनी अच्छाई, बुराई, शक्ति और सीमाओं को पहचानना आसान नहीं होता। इसके लिए मन, बुद्धि और अंतःकरण का शुद्ध और स्पष्ट होना आवश्यक है।
आत्म-दर्शन का महत्व अनमोल है। जैसे साफ दर्पण में अपना प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई देता है, वैसे ही शुद्ध अंतःकरण में ही आत्मा का सच झलकता है। अपने सत्य को जानने से ही मन की शांति मिलती है और कष्टों से मुक्ति संभव होती है।
व्यक्ति की महानता पद, धन या दौलत से नहीं, बल्कि उसके सत्यनिष्ठ, नेक इरादों और इंसानियत से मापी जाती है। समाज और परिवार में उसका मूल्य उसके कर्म और चरित्र से तय होता है।
उत्तरदायित्व का पालन जीवन में स्थिरता और सम्मान लाता है। परिवार, समाज और देश के प्रति ईमानदारी से निभाए गए कर्तव्य व्यक्ति को न केवल सामाजिक दृष्टि में बल्कि अपने दृष्टिकोण में भी ऊँचा उठाते हैं। यदि हम अपने कर्तव्यों में ईमानदार नहीं हैं, तो समाज से पहले हम स्वयं के नजरिए में गिर जाते हैं।
अंततः, खुद को जानना और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना ही सच्ची महानता और जीवन की सफलता की कुंजी है।